रायपुर: राजधानी में फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले रैकेट के भंडाफोड़ ने खलबली मचा दी है। खासकर तब जब कोरोना से मौत मामले में सरकार ने 50 हजार रुपए के मुआवजे का ऐलान किया है। सांख्यिकी विभाग के अधिकारी इसे गंभीर मामला इसलिए भी मान रहे हैं, क्योंकि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र में छेड़छाड़ कर कई तरह के अपराधों को अंजाम दिया जा सकता है। पुलिस ने इस मामले में 2 लोगों को गिरफ्तार किया है।
रायपुर में सक्रिय रैकेट लोगों से मनमाने पैसे लेकर मनचाहे फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बांट रहा था। इस रैकेट का खुलासा पिछले 5 अगस्त को तब हुआ जब शंकरनगर की एक महिला अपनी बेटी का आधार कार्ड बनवाने कलेक्ट्रेट स्थित लोक सेवा गारंटी केंद्र पहुंची। लेकिन अधिकारी बच्ची के बर्थ सर्टिफिकेट में जारी नंबर देखकर चकरा गए। दरअसल, बर्थ सर्टिफिकेट भी 5 अगस्त को ही जारी हुआ था लेकिन उसका सीरियल नंबर एक दर्ज था, जिस शहर हर महीने सैकड़ों बर्थ सर्टिफिकेट जारी होते हों उसी शहर में 8वें महीने में पहला सर्टिफिकेट जारी होना कई सवाल खड़े कर रहा था।
इतना ही नहीं जन्म प्रमाण पत्र पर रायपुर नगर निगम के रजिस्ट्रार का कोड नंबर भी गलत था, जिसके बाद केंद्र प्रभारी ने फौरन सर्टिफिकेट की फोटो अपने आला अधिकारी के पास भेजी और रिकॉर्ड वेरिफाई करने को कहा थोड़ी ही देर में साफ हो गया कि सर्टिफिकेट फर्जी है। मामला संगीन था लिहाजा नगर निगम ने मामले की शिकायत कोतलावी में दर्ज कराई। जांच के बाद पुलिस ने खम्हारडीह के उमा चॉइस सेंटर के संचालक नयन काबरा और रावाभांठा इलाके में चॉइस सेंटर के संचालक युगल किशोर को गिरफ्तार कर लिया।
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दरअसल, शंकरनगर के रहने वाले चितरंजन नेगी की बेटी का जन्म सितंबर 2017 में हुआ था, जिसका नाम उन्होंने रख तो लिया लेकिन बाद में लगा कि ये नाम ट्रेंडिंड नहीं है। लिहाजा उन्होंने इसके लिए अपनी पहचान वाले नरेश चॉइस सेंटर के युगल किशोर से संपर्क किया। युगल का संपर्क उमा चॉइस सेंटर के नयन काबरा से था, जिसने नाम सुधारने की बजाय नई जन्म तारीख के साथ नया जन्म प्रमाण पत्र बना दिया। पुलिस के मुताबिक, दोनों का संपर्क टेलीग्राम पर रहीमुद्दीन नाम के शख्स से हुआ था, जो कहीं का भी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का दावा कर रहा था। सौदा कुछ सर्टिफिकेट बनवाने को लेकर तय हुआ। फिर रहीमुद्दीन ने सीधे भारत सरकार के पोर्टल से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले आईडी-पासवर्ड देने की पेशकश की, जिसे नयन और युगल ने 10 हजार देकर खरीद लिया। इसके बाद खुद ही जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना शुरू कर दिया। दोनों को जो ID दी गई वो रायपुर नगर निगम के अधिकारी की थी। पुलिस अब रहीमुद्दीन की तलाश कर रही है।
जांच में ये खुलासा भी हुआ है कि जिला अस्पताल के लिए जारी ID से भी कुछ फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए गए हैं। हालांकि इस खुलासे के बाद खुद सरकारी विभाग भी सवालों के घेरे में हैं, अभी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार केवल नगर निगम, एम्स, मेकाहारा, डीकेएस, जिला अस्पताल, उप स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और ग्राम पंचायत के सचिव के पास है। इनके आवेदन को मंजूरी देकर जिला योजना सांख्यिकी विभाग की ओर से राज्य के जन्म-मृत्यु, आर्थिकी और सांख्यिकीय विभाग के मुख्य रजिस्ट्रार को भेजा जाता है। यहां से अप्रूवल के बाद ही नई ID एक्टिवेट होती है। ऐसे में नगर निगम के साथ साथ सांख्यिकी विभाग भी सवालों के घेरे में हैं। इस खुलासे के बाद अब नई ID एक्टिवेट करने की नवीन प्रक्रिया लागू कर दी गई है। रायपुर पुलिस की कोशिश इस रैकेट के सरगना के तौर पर सामने आए रहीमुद्दीन, मोईनुद्दीन और शाहिद जैसे लोगों को अपनी गिरफ्त में लेने की है ताकी ये पता चल सके कि गिरफ्तार चॉइस सेंटर संचालकों ने अब तक कितने सर्टिफिकेट जारी किए हैं। इसके लिए साइबर सेल उनके जब्त लैपटॉप और कंप्यूटर से डेटा रिकवर करने में जुटा हैं।
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