रायपुर । 2023 चुनाव के लिए तैयार हो रहे विपक्ष ने अब सरकार को अगल-अलग मुद्दों पर घेरने का मन बना लिया है। प्रदेश में विपक्ष सक्रिय नहीं है। इस उलाहने को सुनती आई प्रदेश की भाजपा इकाई के नेता सोमवार को सड़कों पर एक साथ भी नजर आए और एक्टिव भी। आमजनता को आए दिन होने वाले प्रोटेस्ट की वजह से दिक्कतों से बचाने के लिए सरकार ने प्रदर्शन के लिए अनिवार्य अनुमति बाबत एक आदेश जारी किया है। जिसके विरोध में छत्तीसगढ़ भाजपा के हजारों नेता-कार्यकर्ताओं ने जेल भरो आंदोलन कर अपनी गिरफ्तारी दी। भाजपा जिस आदेश को काला कानून बता रही है। कांग्रेस उसे उन्हीं के शासन काल का पुराना नियम बता रही है।
पूरे प्रदेश में विपक्षी भाजपा नेताओं का ऐसा तीखा तेवर पहली बार दिखा है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और कई पूर्व मंत्री-विधायक समेत सभी जिलों में हजारों नेता-कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और जेल भरो आंदोलन के जरिए राज्य सरकार के साथ-साथ आमजन को एक मजूबत और एक्टिव विपक्ष के होने का अहसास कराया। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस सरकार का नया नियम मिनी आपातकाल की तरह है। कांग्रेस सरकार विपक्ष के आमजन के मुद्दों को उठाने से घबरा गई है।
दरअसल, प्रदेश की कांग्रेस सरकार का ने धरना-प्रदर्शन के लिए 19 बिंदुओँ वाला एक आदेश जारी कर प्रशासन से अनुमति लेने को अनिवार्य किया है। जिसका कर्मचारी संगठनों के साथ भाजपा ने विरोध किया। सोमवार को अकेले राजधानी में 4 जगहों से मुख्यमंत्री निवास घेराव करने निकले सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन के चलते पूरे शहर की यातायात व्यवस्था 3 से 4 घंटे तक बाधित रही। प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस सरकार का यही तर्क है कि दरअसल ये नियम आमजनता को आएदिन होने वाले प्रदर्शन की परेशानी से बचाने के लिए ही नियम बने हैं, जो कि नए नहीं हैं पुराने हैं। ये भाजपा शासित राज्यों में भी ऐसे ही है, कांग्रेस ने तंज कसा कि ये जेल भरो आंदोलन केवल प्रभारी पुरंदेश्वरी को खुश करने के लिए है। .
विधानसभा चुनाव में अब बस डेढ़ साल बाकी है, तो तय है कि चुनावी वादों को लेकर विपक्ष का, और अपनी मांगों को लेकर विभिन्न संगठनों का धरना-प्रदर्शन जोरों पर होगा। इसीलिए भाजपा ने प्रदर्शन पर बैरियर लगाने वाले नियमों की खिलाफत कर जेल भरो आंदोलन कर ना सिर्फ प्रदर्शनकारियों का समर्थन हासिल करने की कोशिश की बल्कि सरकार के खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया है। अब सवाल ये कि ये प्रदर्शन वाकई जनता के हित में है या फिर मात्र अपनी सियासत चमकाने के लिए ?