BJP and Congress face to face on Dawate Islamic institution

जमीन आवंटन पर सियासी जंग! दावते इस्लामी संस्था पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने

BJP and Congress face to face on Dawate Islamic institution

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:15 PM IST, Published Date : January 4, 2022/11:26 pm IST

रायपुरः आज हम बात करेंगे एक ऐसी संस्था पर जिसे लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी बवाल मचा हुआ है। संस्था का नाम है दावते इस्लामी। विवाद की शुरूआत तब हुई, जब रायपुर तहसील ऑफिस की ओर से जारी एक विज्ञापन, जिसमें दावते इस्लामी को 10 हेक्टेयर जमीन देने की बात कही गई थी, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर निशाना साधा। हालांकि कांग्रेस की तरफ से भी करारा पलटवार आया है।

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रायपुर के अतिरिक्त तहसीलदार के नाम से जारी जमीन आवंटन के इसी विज्ञापन ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। 12 दिसंबर को जारी इस विज्ञापन में जिक्र है कि दावते इस्लामी की ओर से सामुदायिक भवन के लिए राजधानी के बोरियाखुर्द में 10 हेक्टेयर सरकारी जमीन पाने के लिए आवेदन किया गया है, लिहाजा किसी को आपत्ति हो तो 13 जनवरी तक दर्ज करा दे। देखते ही देखते ये विज्ञापन सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और 2 जनवरी को बीजेपी नेता बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार पर हमला बोल दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि दावते इस्लामी की स्थापना पाकिस्तान के कराची शहर में हुई है और इसके नेता के तार देश में कई आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहे आरोपियों से जुड़ चुके हैं। आखिर, ऐसे संगठन को 25 एकड़ जमीन दान में देने की जरुरत क्यों है। हालांकि, विवाद बढ़ता देख दावते इस्लामी की तरफ आवेदन ही वापस ले लिया गया।

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बृजमोहन अग्रवाल का हमला यही नहीं थमा। दावते इस्लामी की ओर से आवेदन वापस लेने के बाद माशा एजुकेशन सोसायटी की ओर दिए उस आवेदन को लेकर सवाल उठाया। जिसमें अलग से दावते इस्लामी के नाम पर 6500 वर्गफीट जमीन देने की मांग की गई है। ये आवेदन अब भी प्रक्रियाधीन है. बीजेपी के लगातार हमले का जवाब देने कांग्रेस नेताओं ने मोर्चा संभाला और बीजेपी पर झूठ फैलाने का आरोप जड़ दिया। कांग्रेस ने कहा कि दावते इस्लामी छत्तीसगढ़ की पंजीकृत संस्था है, किसी और देश की नहीं। उन्होने सवाल किया कि अगर ये संस्था देश विरोधी संस्था है तो केंद्र उसे प्रतिबंधित क्यों नहीं करती।

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दावते इस्लामी को लेकर रायपुर महापौर का भी एक विडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें उन्होंने कोरोना काल में संस्था के बेमिसाल काम की तारीफ की है। बहरहाल दावते इस्लामी संस्था पर बीजेपी-कांग्रेस में तीखी बयानबाजी हो रही है। सियासी आरोप-प्रत्यारोप से इतर ऐसे कई सवाल हैं, जिसका जवाब नहीं मिला है। संस्था ने बोरियाखुर्द के खसरा नंबर 199/1 की जमीन का आवेदन किया था, लेकिन बोरियाखुर्द में ये जमीन है ही नहीं। मूल आवेदन में 10 हेक्टेयर जमीन का जिक्र है, जिसे बाद में काटकर 10 हजार वर्ग फीट किया गया। फिर एक ओर आवेदन सामने आया जिसमें खसरा नंबर बदल कर 6800 वर्गफीट देने का जिक्र किया गया है। आखिर इतना त्रुटिपूर्ण आवेदन कैसे हो सकता है और क्या विज्ञापन जारी करने से पहले राजस्व विभाग अपनी ओर से कोई जांच तक नहीं करता। विवाद के बीच अचानक आवेदन वापस क्यों लिए गए और जब संस्था खुद जमीन लेने की इच्छुक नहीं है, तो उसके नाम पर दूसरी संस्था जमीन की मांग क्यों कर रही है।