बिलासपुर: जिले में स्कूली बच्चों के भीतर आत्महत्या जैसी भावनाएं घर कर रही है। जिले में लगातार कम उम्र के बच्चे आत्मघाती कदम उठा रहे है। फिलहाल इस तरह के दो चौंकाने वाले मामले सामने आये है। (Minor school boy and girl committed suicide in Bilaspur) पहला मामला सरकंडा थाना क्षेत्र का है जबकि दूसरा चकरभाठा थाना इलाके के बोड़सरा का।
बोड़सरा में एक छठी कक्षा में पढ़ने वाले स्टूडेंट ने घर पर ही फांसी लगाकर जान दे दी है। उसकी उम्र महज 13 साल बताई जा रही है। इस वाकये से कुछ देर पहले माँ ने उसे किसी बात के लिए डांट लगाईं थी लिहाजा आशंका जताई जा रही है कि इसी बात से नाराज बच्चे ने यह आत्मघाती कदम उठाया हो। पुलिस को इसकी सूचना दे दी गई है। बेटे के मौत से घर पर कोहराम मचा हुआ है।
इसी तरह का एक और मामला सरकंडा थाना इलाके के बसंत विहार में सामने आया है। यहां एक 9वीं पढ़ने वाली स्कूली छात्रा ने अपने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी है। बताया जा रहा है कि 9वीं क्लास की छात्रा को मोबाइल की आदत हो गई थी। (Minor school boy and girl committed suicide in Bilaspur) वह ज्यादातर समय पढ़ाई के बजाये मोबाइल के साथ बिताती थी। वही जब परिजनों ने उससे मोबाइल छीन लिया तो उसने आवेश में आकर फांसी लगा ली। हालाँकि परिजन उसे फंदे से उतारकर अस्पताल ले गए, लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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उत्तर: नाबालिकों में आत्महत्या के पीछे मुख्य कारण मानसिक तनाव, माता-पिता की डांट, मोबाइल या अन्य चीजों की लत, और भावनात्मक आवेश होता है। अभिभावकों द्वारा उचित संवाद और सहानुभूति की कमी भी एक कारण हो सकता है।
उत्तर: बच्चों के साथ खुलकर बात करें, उनकी समस्याओं को समझें और उन्हें भावनात्मक सहारा दें। उनकी गतिविधियों पर ध्यान दें और उन्हें सकारात्मक माहौल दें। मोबाइल और डिजिटल उपकरणों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित करें।
उत्तर: पुलिस हर मामले की जांच कर रही है। परिवारों से पूछताछ की जा रही है और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में जागरूकता फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
Minor school boy and girl committed suicide in Bilaspur
उत्तर: माता-पिता को बच्चों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाना चाहिए। गुस्से के बजाय संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान करें और बच्चों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अवसर दें।
उत्तर: हां, बिलासपुर में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कई परामर्श केंद्र और हेल्पलाइन उपलब्ध हैं। परिवार इनका उपयोग करके बच्चों को सही मार्गदर्शन और मदद दिला सकते हैं।