Differences between leaders surfaced in Chhattisgarh Congress || Image- IBC24 New File
Differences between leaders surfaced in Chhattisgarh Congress : बिलासपुर। नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करने के बाद पार्टी के भीतर कलह खुलकर सामने आने लगी है। राजनांदगांव से लेकर रायपुर तक पदाधिकारियों के खिलाफ पार्टी नेताओं द्वारा बयानबाजी हो रही है और उन्हें पद एवं पार्टी से निष्कासित करने की मांग उठ रही है। इसी कड़ी में बिलासपुर कांग्रेस ने भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी को पत्र लिखकर कोटा विधानसभा के मौजूदा विधायक अटल श्रीवास्तव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। आरोप लगाया गया है कि विधायक ने जिला अध्यक्ष को कथित रूप से ‘चपरासी’ कहा, जिसका उल्लेख पत्र में किया गया है।
अटल श्रीवास्तव के खिलाफ भेजे गए पत्र में विस्तार से उल्लेख किया गया है कि, “दिनांक 17 फरवरी 2025 को पूर्व उपमुख्यमंत्री टी. एस. सिंहदेव का बिलासपुर आगमन हुआ था। उन्हें प्रदेश संयुक्त सचिव पंकज सिंह ने भोजन के लिए आमंत्रित किया था। इस अवसर पर टी. एस. सिंहदेव से मिलने एवं स्वागत के लिए कांग्रेसजनों का जमावड़ा था, जिसमें कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव भी उपस्थित थे। इसी दौरान विधायक श्रीवास्तव ने ग्रामीण जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी पर सार्वजनिक टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘तुमने मेरे सीने में छुरा घोंपा है।’ इसके अलावा, उन्होंने मीडिया में यह भी बयान दिया कि ‘चपरासी कलेक्टर को निकाल रहे हैं।'”
पत्र में आगे लिखा गया है कि विधायक ने यह बयान नगर निगम एवं पंचायत चुनाव में कांग्रेस पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ भीतरघात करने वाले सदस्यों को निष्कासित किए जाने के संदर्भ में नाराजगी व्यक्त करते हुए दिया।
Differences between leaders surfaced in Chhattisgarh Congress : पत्र में कांग्रेस नेताओं ने इसे अनुशासनहीनता बताते हुए लिखा है कि “पार्टी के सम्मानित वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री टी. एस. सिंहदेव की उपस्थिति में अपनी ही पार्टी के जिला अध्यक्ष (ग्रामीण) के प्रति इस प्रकार की अशोभनीय टिप्पणी करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। संगठन के जिला प्रमुख को ‘चपरासी’ कहना कांग्रेस की गरिमा के विपरीत है और यह संगठन की अवमानना एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।”
पत्र में आगे कहा गया है कि बिलासपुर नगर निगम चुनाव 2025 में विभिन्न वार्डों में कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव अपने समर्थकों को टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन वे तय मानकों के अनुरूप नहीं थे। इसलिए, प्रदेश चयन समिति ने उर्जावान एवं पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को टिकट दिया। इसके बावजूद, अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ भीतरघात एवं खुलाघात किए जाने की शिकायतें मिलीं, जिनके समर्थन में लिखित प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए।
इसके चलते, कांग्रेस पार्टी के संविधान एवं नियमों के तहत अनुशासनात्मक नियमों के अनुसार जिलाध्यक्षों (ग्रामीण एवं शहर) द्वारा संबंधित सदस्यों को प्राथमिक सदस्यता से छह वर्षों के लिए निष्कासित किया गया।
Differences between leaders surfaced in Chhattisgarh Congress : कांग्रेस नेताओं ने पत्र में कोटा विधायक पर सवाल उठाते हुए कहा है कि “जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, जिसके अंतर्गत उनकी स्वयं की प्राथमिक सदस्यता आती है, उसे ‘चपरासी’ कहना कितना उचित है? वहीं, जिन्होंने पार्टी को नुकसान पहुंचाया और निगम चुनाव में अधिकृत प्रत्याशियों को हराने का कार्य किया, उन्हें ‘कलेक्टर’ बताना कहां तक जायज़ है?” उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी से आग्रह किया है कि इस मामले पर विचार कर विधायक अटल श्रीवास्तव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
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कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्वत ल हटाए के मांग || LIVE#congress | #AtalShrivastava | #Chhattisgarh
— IBC24 News (@IBC24News) February 18, 2025
इस मामले से अलग प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष और पूर्व सांसद दीपक बैज के खिलाफ बयानबाजी करना और उन्हें अध्यक्ष पद से हटाए जाने की मांग करना दिग्गज कांग्रेस नेता और रायपुर उत्तर के पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा को महंगा पड़ गया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तीन दिनों के भीतर जवाब माँगा है। पार्टी ने पूर्व विधायक के इस बयान को अनुशासनहीनता मानते हुए पार्टी की छवि धूमिल करने का प्रयास बताया है।
भेजे गए कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि, “प्रदेश संगठन के किसी निर्णयों के विषय में अपनी बात पार्टी फोरम में रखने के बजाय आपके द्वारा बार-बार सार्वजनिक रूप से प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से आधारहीन अनर्गल बयानबाजी करने का मामला संज्ञान में आया है, जिससे पार्टी संगठन की छवि धूमिल हो रही है। आपका उक्त कृत्य अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।”
दरअसल, रायपुर उत्तर से पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि आलाकमान को प्रदेश नेतृत्व में बदलाव करना चाहिए। अगर दीपक बैज अध्यक्ष बने रहेंगे, तो मैं राजीव भवन जाना बंद कर दूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि मैं अपनी बात रखने दिल्ली भी जाऊंगा।
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब कोई कांग्रेस नेता अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला है। इससे पहले, पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने कहा था कि हम पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व डिप्टी सीएम टी.एस. सिंहदेव, पीसीसी चीफ दीपक बैज और नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के कारण चुनाव हारे हैं। चारों नेताओं को अब हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के चारों बड़े नेताओं के बीच आपसी समन्वय नहीं था। चारों नेताओं ने अपना-अपना क्षेत्र बांट लिया था। कांग्रेस के दूसरे पंक्ति के नेताओं को सामने लाना था, लेकिन नहीं ला पाए।
Differences between leaders surfaced in Chhattisgarh Congress : कांग्रेस की करारी हार के बाद प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। कई बड़े नेता इसकी मांग कर चुके हैं। अब इसे लेकर प्रदेश में सियासत भी गरमा गई है। रायपुर दक्षिण के विधायक सुनील सोनी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पूरी तरह बिखर चुकी है। कांग्रेस कार्यकर्ता समझ नहीं पा रहे कि पार्टी किसकी है—भूपेश, महंत, सिंहदेव या दीपक बैज की? कांग्रेस लगातार शून्य की ओर बढ़ रही है। कांग्रेस से जनता ही नहीं, बल्कि कार्यकर्ता भी दूर होते जा रहे हैं।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस चुनाव में कांग्रेस एक भी नगर निगम नहीं जीत पाई। राज्य के 10 नगर निगमों में से सभी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में भी भाजपा का दबदबा देखने को मिला। कांग्रेस की इस करारी हार के बाद पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह खुलकर सामने आने लगी है।