बिलासपुर: सहायक शिक्षकों की शिक्षक के पद पर पदोन्नति और शिक्षक से प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता शिक्षकों को पुराने पदस्थ स्कूलों में ज्वाइन करने की छूट दी गई है। शिक्षकों को 15 दिनों के भीतर स्कूल शिक्षा विभाग में अपना अभ्यावेदन जमा करना होगा। इसमें याचिकाकर्ता को यह छूट होगी कि उसने संशोधन के लिए जो प्रमुख आधार बताएं हैं उसे संबंधित या अन्य दस्तावेज भी अभ्यावेदन के साथ प्रस्तुत कर सकता है। उनके अभ्यावेदन के आधार पर सरकार द्वारा बनाई गई 7 सदस्यीय कमेटी 45 दिनों के भीतर मामले का निराकरण करेगी। वेतन का भुगतान भी संबंधित स्कूल से ही होगा।
शिक्षकों की याचिका पर जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। जस्टिस श्री चंदेल ने अपने फैसले में कहा है कि याचिकाकर्ता शिक्षकों को समिति के समक्ष 15 दिनों के भीतर आवेदन पेश करना होगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षकों को यह भी छूट दी है कि समिति के समक्ष अपने आवेदन के समर्थन में कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता होगी। समिति प्रत्येक याचिकाकर्ता के मामले का निर्णय करेगी और उनके नए पदस्थापन आदेश समिति या सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किये जाएंगे। निर्णय लेते समय समिति या सक्षम प्राधिकारी याचिकाकर्ताओं के मामले और उनके नए पोस्टिंग आदेश जारी करने के लिए, राज्य की स्थानांतरण नीति 22 अगस्त 2022 के और 29 मार्च 2023 को जारी निर्देशों पर भी विचार करेगी।
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें अध्यक्ष के रूप में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, एक सदस्य के रूप में लोक शिक्षण निदेशक और सदस्य के रूप में संबंधित पांच प्रभागों के सभी संयुक्त निदेशक शामिल होंगे। कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं को पहले ही एक पक्षीय रूप से जो कार्यमुक्त कर दिया गया है और उनके स्थान पर कोई भी शामिल नहीं हुआ है और, इसलिए, छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए, न्याय के हित में यह फैसला दिया जाता है कि सभी याचिकाकर्ताओं को उनके पिछले पोस्टिंग स्थान पर शामिल होने की अनुमति दी जाए ताकि उनके वेतन के मुद्दे का समाधान किया जा सके।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में तकरीबन 2300 शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से अलग-अलग याचिका दायर कर राज्य शासन द्वारा चार सितंबर 2023 को पारित आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत संबंधित संभागीय संयुक्त निदेशकों द्वारा जारी याचिकाकर्ताओं के संशोधित पोस्टिंग आदेश रद्द कर दिए गए हैं। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सतीष चन्द्र वर्मा एवं उप महाधिवक्ता संदीप दुबे द्वारा बताया गया कि सभी याचिकाकर्ता जो 1900 के करीब है और 4 सितंबर के आदेश से कार्यमुक्त हो चुके थे, उनके वेतन भुगतान के लिए पूर्व पोस्टिंग स्थान पर ज्वाइन करना होगा। इसके बाद राज्य सरकार उनके वेतन भुगतान की व्यवस्था करेगी। कोर्ट के आदेश के बाद याचिका निराकृृत कर दी गई है।
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