biggest strength of Maoists in Bastar: जगदलपुर। बस्तर में माओवादियों की सबसे बड़ी ताकत ग्रामीणों से मिलने वाला सहयोग है। ऐसे में जब माओवादियों के खिलाफ पुलिस कामयाब हो रही है। तो उसके पीछे भी कहीं ना कहीं स्थानीय स्तर पर सरकार का बढ़ता जनाधार बड़ी वजह रहा है। ‘नियद नेल्लानार’ यानी ‘मेरा अपना गांव’, छत्तीसगढ़ सरकार की यह योजना गांव गांव तक विकास पहुंचाने में साकार साबित हो रही है।
हर गांव में सड़क, पानी, बिजली और बुनियादी विकास जिसमें मोबाइल नेटवर्क भी शामिल है, पहुंचाया जा रहा है। इसके लिए नक्सल प्रभावित इलाकों में जहां आज तक माओवादियों की वजह से यह सुविधा नहीं पहुंची है। वहां पुलिस कैंप को प्रमुख केंद्र बनाया जा रहा है।
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बस्तर संभाग में करीब 64 ऐसे गांव हैं, जहां पहले चरण में यह सारी बुनियादी सुविधाएं संचालित की जा रही हैं। पुलिस फोर्स गांव गांव में लोगों से मुलाकात कर रही है। वे लोगों से माओवादियों से दूर रहने उनके विचारधारा से दूर रहने अपराध नहीं करने के साथ ही सरकारी योजनाओं की भी जानकारी दे रही है।
सरकारी अधिकारी कर्मचारी ग्राउंड जीरो तक पहुंच रहे हैं। ऑपरेशन के साथ विकास भी ग्रामीणों की शर्त पर, इसे केंद्र में रखते हुए ही गांव-गांव में काम किया जा रहा है। अगर बस्तर का नक्शा उठा कर देखें, तो बस्तर में पहले के मुकाबले अब औद्योगिक गतिविधियों में भी तेजी आई है।
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सड़कों का नेटवर्क नक्सल प्रभावित इलाकों में जो कटा हुआ था अब वह फिर बहाल हो चुका है। बीजापुर से जगरगुंडा, दंतेवाड़ा से जगरगुंडा होते हुए तेलंगाना बीजापुर से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सीधा सड़क संपर्क तैयार हो गया है।
यही कारण है कि बस्तर में अब तेजी से नक्सली सिमट रहे हैं। इस तरह से सरकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों को विश्वास में लेकर नक्सलियों को कमजोर किया जा रहा है।