Encounter of top Naxalite commander Madvi Hidma

Madvi Hidma on Target: खूंखार नक्सली हिड़मा की तलाश में हर एक जवान.. क्या बुलेट के डर से छोड़ दिया बस्तर?.. कहाँ छिपा बैठा है देश का ‘सबसे बड़ा दुश्मन’?..

Encounter of top Naxalite commander Madvi Hidma बुधवार को दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुए भीषण मुठभेड़ में 31 नक्सलियों की मौत हो गई थी। इनमें नक्सलियों के दो बड़े लीडर भी ढेर हुए थे।

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Modified Date: October 7, 2024 / 05:51 PM IST
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Published Date: October 7, 2024 5:51 pm IST

नारायणपुर: बुधवार को बस्तर संभाग में सुरक्षाबलों ने बड़ी सफलता हासिल की। डीआरजी, एसटीएफ के जवानों ने ओरछा थाना इलाके में बड़े ऑप्स को अंजाम देते हुए 31 हथियारबंद माओवादियों को ढेर कर दिया। मारे जाने वाले नक्सलियों में उनके बड़े लीडर कमलेश और नीति उर्फ़ निर्मला भी शामिल थी। (Encounter of top Naxalite commander Madvi Hidma) नक्सल उन्मूलन के लिहाज से यह छत्तीसगढ़ में अबतक मिली सबसे बड़ी कामयाबी थी। इससे पहले अप्रेल में कांकेर के छोटे बेठिया में हुए मुठभेड़ में भी 29 नक्सली मारे गए थे।

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Naxalite commander Madvi Hidma Update

हर हाल में चाहिए हिड़मा

पुलिस को इस साल नक्सल उन्मूलन की दिशा में कई बड़ी कामयाबी हाथ लगी हैं। बात गढ़चिरौली एनकाउंटर की करे तो नक्सलियों के बड़े नेता मिलिंद तुम्बड़े महाराष्ट्र के सी-60 का शिकार हुआ था। इसके बाद कई डिविजनल लेवल के नक्सली पुलिस के गोलियों के शिकार हुए। इसी कड़ी में बुधवार को कमलेश और नीति को भी ढेर कर दिया गया। दोनों पर 40-40 लाख रुपये का इनाम था। वही अब सुरक्षाबलों को हिड़मा दंडकारण्य जोनल कमेटी के चीफ माड़वी हिड़मा की तलाश हैं। हालांकि लम्बे वक़्त से हिड़मा की कोई हलचल सुनाई नहीं दी है। पिछले साल एक मुठभेड़ में हिड़मा के मारे जाने की भी खबर सामने आई थी लेकिन नक्सल संगठनों की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं की गई थी। लिहाजा यह भी साफ़ नहीं है कि वह जिन्दा है या फिर मारा जा चुका है। आशंका जताई जा रही है कि हिड़मा ने या तो एनकाउंटर के डर से छत्तीसगढ़ छोड़ दिया या फिर उसे किसी सुरक्षित स्थान पर रखा गया गया है। पुलिस ने इसी साल उसके गाँव पूवर्ती में भी पहुँच बनाई थी और नक्सलवाद के गढ़ कहे जाने वाले इस जगह पर पुलिस कैम्प खोलकर नक्सलियों को सीधी चुनौती भी दी थी।

Who is Madvi Hidma?

कौन है माड़वी हिड़मा ?

हिड़मा जिसका पूरा नाम माड़वी हिड़मा है। जबकि वह कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। हिड़मा उर्फ संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा मोस्ट वांटेड की सूची में टॉप इस नक्सली की कद काठी कोई खास आकर्षक नहीं बल्कि यह कद में नाटा और दुबला-पतला है। जैसा कि सुरक्षा बलों के पास उपलब्ध पुराने फोटो में दिखाई देता है। (Encounter of top Naxalite commander Madvi Hidma) ये बात अलग है कि बस्तर के माओवादी आंदोलन में शामिल स्थानियों की तुलना में उसका माओवादी संगठन में कद काफी बड़ा है। वर्ष 2017 में अपने बलबूते और रणनीतिक कौशल के साथ नेतृत्व करने की क्षमता के कारण सबसे कम उम्र में माओवादियों की शीर्ष सेन्ट्रल कमेटी का मेम्बर बन चुका है। माओवादियों के इस आदिवासी चेहरे को छोड़कर नक्सलगढ़ दण्डकारण्य में बाकी कमाण्डर्स आंध्रप्रदेश या अन्य राज्यों के हैं।

सिर्फ 10वीं तक की शिक्षा

हिड़मा की उम्र यदि 40 साल के आसपास भी मान ली जाए तो वो ऐसे समय और स्थान पर पैदा हुआ जहां उसने सिर्फ माओवादियों और उनके शासन को देखा और ऐसे ही माहौल में वो पला-बढ़ा और पढ़ा। हालांकि वो सिर्फ 10 वीं तक ही पढ़ा है, लेकिन अध्ययन की उसकी आदत ने उसे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने में अभ्यस्त बना दिया। अंग्रेजी साहित्य के साथ माओवादी और देश-दुनिया की जानकारी हासिल करने में उसकी खासी रुचि है।

चार लेयर की सुरक्षा

वर्ष 1990 में मामूली लड़ाके के रुप में माओवादियों के साथ जुड़ने वाला यह आदिवासी सटीक रणनीति बनाने और तात्कालिक सही निर्णय लेने की क्षमता के कारण बहुत ही जल्दी एरिया कमाण्डर बन गया था। वर्ष 2010 में ताड़मेटला में सीआरपीएफ को घेरकर 76 जवानों की जान लेने में भी हिड़मा की मुख्य भूमिका रही।इसके 3 साल बाद 2013 में जीरम हमले में कांग्रेस के बड़े नेताओं सहित 31 लोगों की जान लेने वाली नक्सली घटना में भी हिड़मा शामिल था। (Encounter of top Naxalite commander Madvi Hidma) वर्ष 2017 में बुरकापाल में हमला कर सीआरपीएफ के 25 जवानों की शहादत का जिम्मेदार भी इसी ईनामी नक्सली को माना जाता है। खुद ए के -47 रायफल लेकर चलने वाला हिड़मा चार चक्रों की सुरक्षा से घिरा रहता है।

गृहमंत्री की समीक्षा बैठक

देश के गृहमंत्री अमित शाह ने आज दिल्ली में वामपंथ उग्रवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री. गृहमंत्री और आला-अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक के बाद उन्होंने नक्सलियों से अपील किया कि वह हथियार छोड़कर मुख्य धारा में खुद को शामिल कर ले। अमित शाह ने माओवाद विचारधारा से प्रभावित युवाओं को यह सन्देश दिया कि वह देश के विकास में भागी बने। बुधवार को दंतेवाड़ा में 31 नक्सलियों के एनकाउंटर के बाद यह मीटिंग दिल्ली में आयोजित की गई थी। मीटिंग की अगुवाई खुद केंद्रीय गृहमंत्री ने की जबकि इस बैठक में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, मुख्य सचिव और डीजीपी ने शिरकत की।

विकास में दे योगदान

अमित शाह ने बताया कि, देश भर में नक्सलवाद व आतंकवाद से जुड़े 13 हजार युवा हथियार छोड़कर मुख्य धारा में शामिल हो चुके है। उन्होंने आतंकवाद और नक्सलवाद से जुड़े युवाओं से विनती की है कि वो हथियार छोड़कर मुख्य धारा में आए और राज्यों के पुनर्वास योजना का लाभ लें। (Encounter of top Naxalite commander Madvi Hidma) शाह ने युवाओं से कहा कि देश के विकास में योगदान दें, नक्सलवाद से किसी का कोई फायदा नहीं हुआ है।

एमपी, छग के सीएम भी हुए शामिल

इस महत्वपूर्ण बैठक में अमित शाह ने मुख्यमंत्री से नक्सल उन्मूलन अभियान से जुडी जानकारियां ली और सुझाव दिए। उन्होंने राज्यों के द्वारा चलाये जा रहे पुनर्वास योजनाओं की जानकारी भी ली। बैठक में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा के अलावा, मध्यप्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, ओडिशा के सीएम मोहन माझी, महाराष्ट्र के मुखिया एकनाथ शिंदे के अलावा राज्यों के प्रशानिक प्रमुख और पुलिस के अफसर मौजूद रहे।

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जारी किया आंकड़ा

बैठक में गृहमंत्री ने कहा कि, आज मैं फिर से एक बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, उनके डीजीपी, उनकी पूरी टीम को हृदय से बधाई देना चाहता हूं। क्योंकि जनवरी से अब तक लगभग 194 नक्सली छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए हैं, 801 गिरफ्तार हुए हैं और 742 ने आत्मसमर्पण किया है।

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31 माओवादियों की मौत

बता दें कि, बुधवार को दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुए भीषण मुठभेड़ में 31 नक्सलियों की मौत हो गई थी। इनमें नक्सलियों के दो बड़े लीडर भी ढेर हुए थे। (Encounter of top Naxalite commander Madvi Hidma) अमित शाह ने इस पूरे एनकाउंटर की जानकारी ली थी और जरूरी निर्देश भी दिए थे। छत्तीसगढ़ में हुए सभी मुठभेड़ों में यह सबसे सफल मुठभेड़ थी जिसमे एक साथ 31 हथियारबंद नक्सली मारे गए थे। इस पूरे एनकाउंटर में एक भी जवान हताहत नहीं हुआ था।

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