प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने के प्रयासों को रोकने की जरूरत: उपराष्ट्रपति धनखड़ |

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने के प्रयासों को रोकने की जरूरत: उपराष्ट्रपति धनखड़

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने के प्रयासों को रोकने की जरूरत: उपराष्ट्रपति धनखड़

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Modified Date: January 15, 2025 / 10:00 PM IST
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Published Date: January 15, 2025 10:00 pm IST

(फाइल फोटो सहित)

बिलासपुर (छत्तीसगढ़), 15 जनवरी (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण कराए जाने पर बुधवार को चिंता व्यक्त करते हुए इसे संविधान और इसकी भावना के विपरीत बताया तथा इस तरह के ‘‘नापाक’’ मंसूबों को परास्त करने की आवश्यकता पर बल दिया।

बिलासपुर में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने नक्सलवाद को विकास, खासकर आदिवासियों के कल्याण की दिशा में सबसे बड़ी बाधा बताया। उन्होंने कहा कि इस समस्या को खत्म करने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘गुरु घासीदास ने सभी के बीच एकता, समावेश और समानता की भावना को मूर्त रूप दिया। उनके जैसे गुरुओं के कारण ही इस क्षेत्र का सामाजिक-सांस्कृतिक स्वरूप अपरिवर्तित रहा है…हमारा भारत, जहां आबादी का छठा हिस्सा निवास करता है, उनके जैसे राष्ट्रीय नायकों को पाकर धन्य है।’’

उन्होंने कहा कि देश में महर्षि वाल्मीकि, भगवान बिरसा मुंडा, संत रविदास और ज्योतिबा फुले जैसे महापुरुष हुए और उनमें से प्रत्येक एक ऐसे ऊंचे स्तंभ की तरह खड़ा है जिस पर समाज की इमारत खड़ी है। धनखड़ ने कहा कि यह सुखद है कि राष्ट्र की सामूहिक चेतना में उनकी स्थिति को अब पहचाना जा रहा है।

धनखड़ ने कहा, ‘‘यह चिंताजनक है कि समावेशिता की जिस स्वस्थ विचार प्रक्रिया के लिए वे खड़े थे, जिसके लिए वे जीते थे, जिसका उन्होंने प्रचार किया था, उसे कुछ ऐसे लोगों द्वारा चुनौती दी जा रही है जो धर्मांतरण के लिए प्रलोभन देकर बुनियादी सामाजिक स्थिरता को बाधित करना चाहते हैं। यह हमारी सभ्यतागत लोकाचार के लिए प्रतिकूल है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इससे ज़्यादा गंभीर बात और कुछ नहीं हो सकती कि ये गलत काम जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ने की एक विकसित रणनीति के तहत किए जा रहे हैं। हमें इन नापाक इरादों का प्रतिरोध और मुकाबला करने की ज़रूरत है क्योंकि इनमें हमारी समावेशिता और सभ्यतागत संपदा के लिए अस्तित्वगत चुनौतियों के रूप में उभरने की घातक क्षमता है।’’

उपराष्ट्रपति ने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद विकास में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है, खासकर आदिवासी लोगों के लिए, क्योंकि यह जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह जानकर खुशी हुई कि पिछले कुछ सालों में देश में (इस खतरे को खत्म करने के लिए) गंभीर प्रयास किए गए हैं। छत्तीसगढ़ में, कई नक्सलियों को मार गिराया गया, गिरफ्तार किया गया या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया।’’

भाषा आशीष माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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