Artist performed on stage even after father's death in Chhattisgarh

Chhattisgarh News: प्रस्तुति से ठीक पहले आई पिता की मौत की खबर, कलाकर बेटे का नहीं डिगा हौसला, अमित शाह के सामने बताई नक्सल पीड़ितों की कहानी

प्रस्तुति से ठीक पहले आई पिता की मौत की खबर, कलाकर बेटे का नहीं डिगा हौसला,Artist performed on stage even after father's death in Chhattisgarh

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Modified Date: December 18, 2024 / 02:51 PM IST
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Published Date: December 18, 2024 2:37 pm IST

राजनांदगांवः Chhattisgarh News: कहा जाता है कि एक कलाकार अपनी कला को जिंदा रखने के लिए हर जतन करता है। उसे कोई भी बाधा नहीं डिगा सकता है। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ से सामने आया है, यहां एक कलाकर अपनी पिता की मौत की खबर सुनने के बाद भी रंगमंच के अभिनय और जीवन की अदाकारी को बखूबी निभाया। उन्होंने अपने कला के प्रदर्शन के दौरान इसकी जरा भी जानकारी किसी की नहीं होने दी। चेहरे पर दुखों के भाव को मुस्कान में बदल कर लोगों का मनोरंजन करते हैं। यह कहानी राजनांदगांव जिले के रहने वाले कलाकार नागेश पठारी का है।

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Chhattisgarh News: दरअसल, बीतें दिनों बस्तर संभाग में बस्तर ओलंपिक का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के समापन अवसर पर 15 दिसबंर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित प्रदेश के कई बड़े नेता शामिल हुए थे। नक्सल प्रभावित ग्रामीणों की स्थिति को लेकर दोपहर 3 बजे प्रस्तुत होना तय था। इस नाटक की अगुवाई नागेश पठारी कर रहे थे। वे इस नाटक में मुख्य भूमिका में थे। प्रस्तुति से ठीक पहले नागेश के पिताजी जीआर पठारी का निधन हार्ट अटैक की वजह से राजनांदगांव में हो गया। इसकी खबर नागेश को दी गई। अपने पिता की मृत्यु की खबर सुनने के बाद भी नागेश ने अपने नाटक के प्रदर्शन को ही प्राथमिकता दी। अपने पिता के शोक भाव को मन के एक कोने में दबाकर उन्होंने गाना गाया, नृत्य किया। नागेश ने अपनी भावनाओं को अपनी अदाकारी के बीच नहीं आने दिया और जिंदगी के अभिनय को रंगमंच पर प्रकट नहीं होने दिया। यह घटना दूसरे कलाकारों के लिए प्रेरणादायक रही।

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बता दें कि कुछ साल पहले ऐसा ही एक मामला राजनांदगांव से सामने आया था। यहां एक कलाकार मां पूनम विराट तिवारी ने अपने कलाकार बेटे को उसकी पसंद के गीत सुना कर अंतिम विदाई दी थी। पूनम तिवारी ने गीत संगीत के साथ चोला माटी के राम एकर का भरोसा, चोला माटी के राम लोकगीत को अपनी आवाज में गा कर विदाई दी थी। मां होते हुए भी अपने पुत्र के जाने के दर्द को दिल के एक कोने में समेट कर उन्होंने पुत्र की इच्छा पूरी की थी।

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नागेश पठारी कौन हैं और उन्होंने क्या किया?

नागेश पठारी राजनांदगांव के एक प्रसिद्ध कलाकार हैं। उन्होंने अपने पिता की मौत की खबर सुनने के बाद भी अपनी रंगमंच प्रस्तुति जारी रखी। वे बस्तर ओलंपिक कार्यक्रम में नक्सल प्रभावित ग्रामीणों की स्थिति को दर्शाने वाले नाटक में मुख्य भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने अपनी निजी पीड़ा को अपने कला प्रदर्शन में रुकावट नहीं बनने दिया और पूरी पेशेवर निष्ठा के साथ प्रस्तुति दी।

2. क्या नागेश पठारी ने नाटक के दौरान किसी को अपनी पिता की मौत के बारे में बताया?

नहीं, नागेश पठारी ने अपनी पिता की मृत्यु की खबर के बावजूद नाटक के दौरान किसी को भी इस बारे में नहीं बताया। उन्होंने अपनी भावनाओं को रंगमंच के प्रदर्शन से अलग रखा और पूरी तरह से अपनी भूमिका निभाई।

3. बस्तर ओलंपिक का आयोजन कब और कहां हुआ था?

बस्तर ओलंपिक का आयोजन हाल ही में बस्तर संभाग में हुआ था। इस कार्यक्रम के समापन अवसर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित कई बड़े नेता शामिल हुए थे। नागेश पठारी ने इस कार्यक्रम में नक्सल प्रभावित ग्रामीणों की स्थिति को दर्शाने वाले नाटक का नेतृत्व किया था।

4. क्या यह पहली बार है जब किसी कलाकार ने इस तरह का समर्पण दिखाया?

नहीं, यह पहली बार नहीं था। इससे पहले राजनांदगांव में एक अन्य कलाकार, मां पूनम विराट तिवारी ने अपने बेटे को अंतिम विदाई देने के लिए उसकी पसंद का लोकगीत गाया था, हालांकि वह खुद अपनी पीड़ा में डूब गई थीं, लेकिन उसने बेटे की इच्छा को पूरा किया था। यह भी एक उदाहरण है कि कैसे कलाकार अपनी कला के प्रति समर्पित रहते है

 
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