Reported By: Abhishek Soni
, Modified Date: April 6, 2024 / 05:02 PM IST, Published Date : April 6, 2024/5:02 pm ISTअंबिकापुर। अपनी ठंडक के लिये जाना जाने वाला छग का शिमला यानी मैनपाट अप्रैल माह में ही तपने लगा है। आलम ये है कि मैनपाट का तापमान शुरुवाती गर्मी में ही 37 डिग्री के पार पहुंच गया है, जिससे मैनपाट भी अब गर्मी से झुलसा रहा है। आलम ये है कि जिस मैनपाट में सालो भर ठंडक रहती थी वहां अब लोग एसी का सहारा लेने को मजबूर है।
गर्मी से तप रहा मैनपाट
मैनपाट इस स्थान का नाम लेते ही एहसास होता है ठंडक का, एहसास होता है प्राकृतिक सौंदर्य का एहसास होता है। अपनी ठंडक के लिए पहचान बनाने के कारण ही इसे छग के शिमला के रूप में पहचान मिली। तिब्बती समुदाय के लोग भी यहां ठंडा प्रदेश होने के कारण ही आकर बसे। यहां आने वाले पर्यटक यहां आकर गर्मी में भी ठंडी का एहसास करते थे। यहां ठंडा इलाका होने के कारण ही ठंडे इलाके के फलों की खेती भी होती थी। कुछ साल पहले तक यहां लोग ठंडी के दिनों में भी कंबल ओढ़ कर रात गुजारते थे और यहां घरों में एसी भी नहीं हुआ करती थी। मगर, अपनी ठंडक के लिए जाना जाने वाला छग का शिमला यानी मैनपाट अब तप रहा है।
तापमान 37 डिग्री पहुंचा
आलम ये है कि गर्मी की शुरूवात में ही यहां का तापमान 37 डिग्री के पहुंच गया है। यहां रहने वाले लोगों का भी कहना है, कि जब पूरे देश में गर्मी होती थी तो मैनपाट में इसका असर नहीं पड़ता था और यहां लोग ठंड का एहसास करते थे। मगर, बीते कुछ सालों से यहां गर्मी बढ़ रही है और मैनपाट अपनी ठंडक वाली पहचान खो रहा है।
मौसम वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी!
मैनपाट के वातावरण में परिवर्तन की बात मौसम विज्ञानी भी मान रहे हैं कि कुछ साल पहले तक मैनपाट और अम्बिकापुर के तापमान में 3 से 4 डिग्री का अन्तर होता था जो अब घट कर 1 से डेढ़ डिग्री तक पहुंच गया है। इसके पीछे का कारण मौसम विज्ञानी जलवायु में आ रहे परिवर्तन को मान रहे है। मौषम विज्ञानियों का कहना है कि लगातार पेड़ों की कटाई, बढ़ती बसाहटें, आबादी का विस्तार, पक्के निर्माण इसका मूल कारण है। मौषम विज्ञानी की माने तो मैनपाट के पहचान को बचाने के लिए जरूरी है, कि यहां अधिक से अधिक पेड़ मौजूद रहे। वरना, वो दिन दूर नहीं जब अम्बिकापुर और मैनपाट के तापमान में कोई अंतर नहीं रह जायेगा।