रायपुरः NCRB यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की साल 2020 की रिपोर्ट आने के बाद से प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष हमलावर है। विपक्ष का आरोप है कि प्रदेश में कानून का कोई खौफ नहीं बचा है। दरअसल, बस्तर में नक्सलवाद की चुनौती के साथ-साथ, सरगुजा में पारिवारिक कलह के चलते बढ़ती सामूहिक हत्याओं के मामले राजधानी में मामूली से विवादों में भी चाकूबाजी के दौरान हत्या का एक ट्रेंड सा सामने आया।
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गंभीर बात ये कि नशे की लत में नाबालिग भी इन गंभीर वारदातों में लिप्त पाए गए। शंकर नगर में दिनदहाडे सरेराह कोचिंग से लौटती युवती से छेड़छाड़, चलती कार से युवती को फेंकने की सनसनीखेज घटना राजधानी में सरेराह मोबाइल लूटपाट,शराब पीने के लिए अवैध वसूली-मारपीट के दर्जनों मामले भी राजधानी पुलिस की किरकिरी करा चुके हैं।
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दूसरी तरफ राजधानी में नशे के कारोबार पर भी दावों के बावजूद पुलिस पूरी तरह अंकुश नहीं लगा पाई है। छोटे गुर्गों को पकड पकड़कर ही पुलिस अपनी पीठ थपथपाती नजर आती है। NCRB 2020 की रिपोर्ट पर पूर्व CM रमन सिंह ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा की सरकार की नीतियों के कारण अपराध बढ़ा है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी इसपर तंज कसते हुए कांग्रेस सरकार को विफल बताया है।
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इधर, NCRB 2020 की रिपोर्ट पर बीजेपी के हमलों का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार कर कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे शांत प्रदेश को अपने सियासी स्वार्थ के लिए बदनाम करने की कोशिश है। उन्होंने विपक्ष को दुष्प्रचार करने के बजाए जारी आंकड़ों की तुलना करने की नसीहत दी है।
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बहरहाल, प्रदेश में कानून व्यस्था को लेकर चुनौतियों से इंकार नहीं किया जा सकता। इसे लेकर सत्ता पक्ष के अपने दावे हैं तो विपक्ष की अपनी दलीलें उस पर NCRB की साल 2020 की जारी रिपोर्ट के बाद सूबे का सियासी तापमान बढ़ा हुआ है। सवाल ये है कि इस बढ़ती वारदातों की चुनौती से पुलिस प्रशासन कैसे निपटेगा ?