cg assembly election 2023 रायपुर। छत्तीसगढ़ की चुनावी बिसात पर मोहरे सज चुके हैं.. शह और मात का खेल भी शुरू हो चुका है। कांग्रेस ने इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए हर उस मोर्चे पर तैयारी कर ली है जो उसके लिए चुनौती बन सकते हैं। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस न शराबबंदी के मोर्चे पर बैकफुट पर जाना चाहती है, न धर्म के मसले पर.. और न ही किसान, मजदूर और अपने किए वादे पर। मतलब साफ है कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले अपने गियर शिफ्ट कर लिए हैं… जिससे BJP की चुनौतियां और बढ़ गई हैं… तो क्या होगा BJP के पास इस रणनीति का जवाब…?
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ढेरों वादे और दर्जनों ऐलान कर साल 2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता में आई थी.. साढ़े 4 साल बीत चुके हैं और अब फिर बताना होगा कि 2018 में जिन वादों के साथ वो सत्ता में आई.. उनका क्या हुआ। 5 साल में उपजी नई जन आकांक्षाओं का सरकार ने क्या उपाय किया। इस पर कांग्रेस की रणनीति पुख्ता है… CM भूपेश के बयान इस तरफ इशारा भी कर रहे हैं। उन्होंने सियासी लड़ाई के लिए 5 मंत्र दिए हैं.. दरअसल विरोधी जब शराबबंदी पर मुखर हो रहे हैं, तो CM भूपेश इसका काउंटर नशामुक्ति जनअभियान चलाकर देना चाहते हैं। यानी सिर्फ शराबबंदी नहीं बल्कि हर तरह के नशे के खिलाफ जन अभियान… विरोधी जब गौठान को बदहाल बताते हैं.. तो CM भूपेश राज्य की योजनाओं के लाभार्थियों को अपनी ढाल बना लेते हैं। भाजपा जब राम, धर्मांतरण या सनातन से जुड़े दूसरे मुद्दे उठाती है, तो कांग्रेस रामायण महोत्सव से लेकर राम वन गमन पथ और मां कौशल्या मंदिर के जीर्णोद्धार की उजली तस्वीर पेश कर देती है.. युवाओं के मुद्दे पर भाजपा के सवाल का जवाब में CM भूपेश.. बेरोजगारी भत्ता, हजारों नौकरियां और इंग्लिश मीडियम स्कूल के काम गिना देते हैं। अनुसूचित जाति की 10 आरक्षित सीटों के साथ लगभग डेढ़ दर्जन प्रभाव वाली सीटों पर विरोधी जब सक्रिय नजर आते हैं तो CM हर ब्लॉक में जैतखंभ का ऐलान कर देते हैं। यानी हर स्तर पर विरोधी को मुद्दा विहीन कर देने की रणनीति है।
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कांग्रेस इन चुनावों में पंचसूत्र के साथ जा रही है। मंशा साफ है कि अपने काम और नियत के बदौलत एक बार फिर जनता से जनादेश पाने की पूरी कोशिश है.. लेकिन विरोधी इन स्टैंड को यू टर्न बता रहे हैं, और सरकार के अधूरे वादे गिना रहे हैं।
कांग्रेस का कहना है कि जो कहा उससे ज्यादा करके दिखाया। कांग्रेस चाहती है किसी भी मुद्दे या मोर्चे पर विरोधी उसे छका न पाएं। लिहाजा, अलग राजनीतिक शैली के माहिर खिलाड़ी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तैयारी हर मोर्चे पर दिख रही है। अब राजनीतिक समर में जनता ही जनार्दन है.. और सब इस पर निर्भर है कि कौन अपनी बात जनता को ठीक ठीक समझा पाता है।