दंतेवाड़ा, पांच अक्टूबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में शुक्रवार को सुरक्षा बलों से हुई मुठभेड़ में मारे गए 31 नक्सलियों में से 16 की पहचान वरिष्ठ नक्सलियों के रूप में हुई है, जिन पर कुल 1.30 करोड़ रुपये से अधिक का ईनाम था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि मारे गए नक्सलियों में से माओवादियों के सबसे मजबूत संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) की महिला सदस्य नीति उर्फ उर्मिला पर 25 लाख रुपये का ईनाम था।
उन्होंने बताया कि राज्य में वह इस वर्ष सुरक्षाकर्मियों से हुई मुठभेड़ में मारे गए डीकेएसजेडसी की चौथी सदस्य है।
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले की सीमा में थुलथुली और नेंदूर गांव के बीच अबूझमाड़ क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में 13 महिलाओं समेत 31 नक्सली मारे गए।
सुंदरराज ने बताया कि मारे गए नक्सलियों में से 16 की पहचान कर ली गई है, जबकि अन्य की पहचान अभी नहीं हो पाई है।
उन्होंने बताया कि माओवादियों के डीकेएसजेडसी की सदस्य नीति माओवादियों के पूर्वी बस्तर संभाग का नेतृत्व कर रही थी, जो पांच जिलों- नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, बीजापुर और कोंडागांव के जंक्शन में सक्रिय था।
डीकेएसजेडसी छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के अलावा पड़ोसी आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में माओवादी गतिविधियों को अंजाम देता है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मृतकों में दो अन्य प्रमुख नक्सलियों की पहचान सुरेश सलाम और मीना मड़कम के रूप में हुई है, जो संभागीय कमेटी सदस्य थे और उनके उनपर आठ-आठ लाख रुपये का ईनाम था।
उन्होंने बताया कि आठ नक्सलियों की पहचान पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) कंपनी नंबर छह के सदस्यों के रूप में और पांच की पहचान माओवादियों के क्षेत्रीय कमेटी के सदस्यों के रूप में हुई है।
पुलिस अधिकारी ने बताया, ”इन 16 नक्सलियों पर 1.30 करोड़ से अधिक का ईनाम था।”
उन्होंने कहा कि 15 अन्य सदस्यों की पहचान की कोशिश की जा रही है।
सुंदरराज ने बताया कि मुठभेड़ स्थल से एक एलएमजी राइफल, चार एके-47 राइफल, छह एसएलआर (सेल्फ-लोडिंग राइफल), तीन इंसास राइफल, एक .303 बोर राइफल, कई अन्य कैलिबर राइफल, स्थानीय रूप से निर्मित हथियार और दैनिक उपयोग की वस्तुएं तथा माओवादियों से संबंधित अन्य सामान बरामद किया गया है।
उन्होंने बताया कि यह अभियान माओवादियों और उनके पूर्वी बस्तर डिवीजन तथा पीएलजीए कंपनी के लिए एक बड़ा झटका है।
पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों और मानसून से जुड़ीं चुनौतियों के बावजूद सुरक्षा बलों ने इस अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
उन्होंने बताया कि मुठभेड़ के दौरान माओवादियों द्वारा दागे गए अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर (बीजीएल) के एक गोले में विस्फोट होने से राज्य पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) का एक जवान घायल हो गया।
अधिकारी ने बताया कि रायपुर में उसका इलाज किया जा रहा है और हालत खतरे से बाहर बताई गई है।
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 24 वर्ष बाद यह सुरक्षाबलों का अब तक का सबसे बड़ा अभियान है, उस समय एक ही मुठभेड़ में 31 नक्सली मारे गए हैं।
इससे पहले 16 अप्रैल को कांकेर जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में कुछ बड़े नक्सलियों समेत 29 नक्सली मारे गए थे।
अधिकारी ने कहा कि बेहतर समन्वय और रणनीति के साथ सुरक्षा बलों ने पिछले नौ महीने में नक्सलियों को भारी नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष अब तक बस्तर संभाग में अलग-अलग मुठभेड़ में 188 नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं। बस्तर संभाग में सात जिले कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा शामिल हैं। इसी अवधि में संभाग में 706 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है तथा 733 ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।
दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक गौरव राय ने बताया कि पुलिस का मुख्य उद्देश्य पूर्वी बस्तर डिवीजन के पांच जिलों के दुर्गम जंगलों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा करना और उन्हें माओवादियों के चंगुल से मुक्त कराना है, जिससे क्षेत्र में विकास और शांति स्थापित हो सके।
उन्होंने नक्सलियों से हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का अनुरोध किया है।
भाषा संजीव जोहेब
जोहेब
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