दादा साहेब फाल्के पुरस्कार: (Dada Saheb Phalke Award) दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भारतीय फिल्म जगत में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। यह हर साल फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाता है। यह भारतीय फिल्म जगत के पितामह कहे जाने वाले महाराष्ट्र के फिल्म निर्माता, निर्देशक व पट-कथा लेखक धुन्दिराज गोविन्द फाल्के के सम्मान में दिया जाता है।
Dada Saheb Phalke Award भारतीय सिनेमा के जनक दादा साहब फाल्के ने वर्ष 1913 में पहली भारतीय फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी। उनकी याद में भारत सरकार ने 1969 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार (Dada Saheb Phalke Award) की शुरुआत की।
2019 के लिए यह सम्मान प्रसिद्द अभिनेता रजनीकांत को तमिल एवं हिंदी सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है। यह सम्मान पाने वाले वह 51वें कलाकार हैं। उन्हें 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के अवसर पर सम्मानित किया गया है।
सबसे लेटेस्ट यानि 2024 में मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो उन्हें 8 अक्टूबर, 2024 को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रदान किया गया है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी घोषणा की, जिन्होंने चक्रवर्ती की “उल्लेखनीय सिनेमाई यात्रा” और भारतीय सिनेमा में उनके प्रतिष्ठित योगदान पर जोर दिया।
—दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत 1969 से हुई।
—यह पुरस्कार भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के अवसर पर दिया जाता है।
—इसके तहत एक स्वर्ण कमल, शाल व 10 लाख रूपये की नकद राशी दी जाती है।
—हिंदी फिल्म अभिनेत्री देविका रानी चौधरी दादा साहेब फाल्के पुरस्कार पाने वाली प्रथम विजेता थीं जिन्हें 17वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में इससे सम्मानित किया गया।
—2021 में यह सम्मान पाने वाले कलाकार अभिनेता रजनीकांत हैं। उन्हें यह पुरस्कार 2019 के लिए दिया गया है। 2019 के बाद से कोरोना वैश्विक महामारी के कारण यह समारोह स्थगित कर दिया गया ।
दादासाहेब फाल्के एक निर्माता-निर्देशक-पटकथा लेखक थे, जिन्होंने 1913 में भारत की पहली फीचर-लेंथ फिल्म, राजा हरिश्चंद्र बनाई थी। राजा हरिश्चन्द्र एक मूक (mute) फिल्म थी। उन्होंने 1937 तक, 19 साल के अपने करियर में 95 फीचर-लेंथ फिल्में और 27 लघु फिल्में बनाईं। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाएँ शामिल हैं: मोहिनी भस्मासुर (1913), सत्यवान सावित्री (1914), लंका दहन (1917), श्री कृष्ण जन्म (1918) और कालिया मर्दन (1919)।
— भारत की पहली बोलती (sound) फिल्म अर्देशिर इरानी द्वारा निर्मित फिल्म “आलमआरा” (1931) थी।
इनके अलावा 2020 में एक्ट्रेस आशा पारेख हिंदी, 2021 में वहीदा रहमान हिंदी को और 2024 में एक्टर मिथुन चक्रवती को यह अवॉर्ड दिया जा चुका है।