नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) सरकार कृत्रिम मेधा (एआई) समाधान में सुरक्षा और भरोसे से जुड़े पहलुओं के आकलन के लिए एक प्रणाली बनाने पर काम कर रही है लेकिन वह नियमन के साथ इसकी शुरुआत नहीं करना चाहती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव एस कृष्णन ने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की तरफ से आयोजित ‘वैश्विक आर्थिक नीति मंच’ सम्मेलन में कहा कि सरकार ने कॉपीराइट और अस्तित्व से संबंधित संकट जैसे कुछ मुद्दों को छोड़कर प्रमुख विनियमनों पर व्यापक रूप से ध्यान दिया है।
उन्होंने कहा कि इंडियाएआई मिशन के तहत सरकार ने ‘जिम्मेदार एआई’ और ‘सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई’ के बीच एक बारीक अंतर रखने की कोशिश की है। पश्चिमी देशों में जिम्मेदार एआई की अवधारणा है जिसमें सरकार से किसी नियमन की अपेक्षा नहीं होती है।
कृष्णन ने कहा, ‘‘सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई तब होता है जब आप नवाचार करते हैं और इसके बारे में ज़िम्मेदारी से प्रयास करते हैं लेकिन इसका मूल्यांकन किया जाएगा। हम देखेंगे कि यह सुरक्षित और विश्वसनीय हो ताकि यह सबके लिए काम करे।’’
इसके साथ ही सचिव ने कहा, ‘‘इसपर हम अभी काम कर रहे हैं। हम विनियमन से शुरुआत नहीं करना चाहते हैं। विनियमन एक तरह से इस विशेष क्षेत्र में नवाचार को नुकसान पहुंचाएगा।’’
उन्होंने कहा कि एआई परिदृश्य में एआई, गलत प्रतिनिधित्व और डीपफेक से होने वाले नुकसान के बारे में विनियमन की जरूरत है और गलत प्रतिनिधित्व पर कार्रवाई करने के लिए देश में पर्याप्त कानून हैं।
उन्होंने एआई की वजह से आने वाले समय में भारत में नौकरियों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में कहा कि देश में इसका प्रभाव पश्चिम की तुलना में उतना तीव्र नहीं है।
कृष्णन ने कहा, ‘‘भारत में नौकरी छूटने के संबंध में हमारी चिंताएं, खासकर जेनरेटिव एआई के साथ पश्चिम की तुलना में शायद उतनी अधिक नहीं हैं, जहां कार्यालय की नौकरियां यहां की तुलना में बहुत अधिक हैं।’’
उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत डेटा के उपयोग से जुड़ी चिंताओं का डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम में ध्यान रखा गया है और जल्द ही इसके नियम जारी कर दिए जाएंगे।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय
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