नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) गैर-खाद्य वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन के दाम बढ़ने से थोक मुद्रास्फीति पिछले महीने यानी दिसंबर में बढ़कर 2.37 प्रतिशत पर पहुंच गई। हालांकि, इस दौरान खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मामूली गिरावट आई। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति नवंबर, 2024 में 1.89 प्रतिशत थी। दिसंबर, 2023 में यह 0.86 प्रतिशत रही थी।
आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर, 2024 में घटकर 8.47 प्रतिशत रह गई, जबकि नवंबर में यह 8.63 प्रतिशत थी। अनाज, दाल और गेहूं की महंगाई में नरमी आई।
हालांकि, सब्जियों की मुद्रास्फीति दिसंबर में मामूली बढ़कर 28.65 प्रतिशत रही। नवंबर में यह 28.57 प्रतिशत थी। आलू की महंगाई 93.20 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही और प्याज की मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 16.81 प्रतिशत हो गई।
तिलहन जैसी गैर-खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 2.46 प्रतिशत हो गई, जबकि नवंबर में इसमें 0.98 की कमी आई थी।
ईंधन और बिजली की बात करें तो दिसंबर में मुद्रास्फीति घटकर 3.79 प्रतिशत हो गई जबकि नवंबर में इसमें 5.83 प्रतिशत की कमी आई थी। विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति 2.14 प्रतिशत रही, जबकि नवंबर में यह दो प्रतिशत थी।
इक्रा के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण ईंधन, बिजली और प्राथमिक गैर-खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी है।
अग्रवाल ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जिंस के दाम पिछले महीने की तुलना में जनवरी में बढ़े हैं। रूसी तेल उत्पादकों और जहाजों पर कड़े अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच विशेष रूप से भारत में एक जनवरी से 13 जनवरी, 2025 के बीच आयातित कच्चे तेल की औसत कीमत एक जनवरी के दौरान मासिक आधार पर 5.8 प्रतिशत बढ़ी है।
इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर के 86.5 से ऊपर पहुंचने से आयातित सामान की कीमतों पर दबाव पड़ेगा।
कुल मिलाकर, इक्रा को उम्मीद है कि प्रतिकूल तुलनात्मक आधार के साथ कच्चे तेल और जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी और रुपये के मूल्य में गिरावट से जनवरी, 2025 में थोक मुद्रास्फीति बढ़कर तीन प्रतिशत (जनवरी, 2024 में +0.3 प्रतिशत) हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि थोक मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में औसतन 2.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025-26 में तीन से 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
सोमवार को खुदरा मुद्रास्फीति के जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य कीमतों में कमी के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर 2024 में चार महीने के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर आ गई।
भाषा निहारिका रमण अजय
अजय
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