(बिशास्वर मालाकार)
कोलकाता, चार अक्टूबर (भाषा) बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड (बीसीएमएल) ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर प्रदेश की बायोप्लास्टिक नीति पासा पलटने वाला होगा।
कंपनी ने कहा कि जब यह नीति पूरी तरह तैयार हो जाएगी, उसके बाद वह भारत के पहले औद्योगिक पीएलए (पॉलीलैक्टिक एसिड) बायोप्लास्टिक विनिर्माण संयंत्र को अंतिम रूप देगी। इस संयंत्र के लिए 2,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाना है।
पीएलए के तीन मुख्य फायदे हैं – 1) जैव-आधारित उत्पादन, 2) औद्योगिक खाद दशाओं के तहत जैविक रूप से नष्ट होने योग्य, और 3) रासायनिक पुनर्चक्रण।
बलरामपुर चीनी की कार्यकारी निदेशक अवंतिका सरावगी ने पीटीआई-भाषा के साथ विशेष बातचीत में कह कि पारंपरिक प्लास्टिक की खपत बढ़ती जा रही है, जिससे हमारे पर्यावरण को खतरा है। ऐसे में यह दूरदर्शी नीति इससे बेहतर समय पर नहीं आ सकती थी।
उन्होंने कहा, ”हम भारत की पहली बायोप्लास्टिक नीति की अगुआई करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की दिल से सराहना करते हैं। यह कदम प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक बड़ा बदलाव है। हमारा मानना है कि यह रणनीतिक हस्तक्षेप बायोप्लास्टिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश जुटाएगा और भारत को हरित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगा।”
सरावगी ने कहा कि फरवरी में उनकी परियोजना की घोषणा की गई थी, इसलिए कंपनी पर्यावरण के अनुकूल प्लास्टिक के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार को सलाह देने में सक्षम थी।
उन्होंने कहा कि नयी नीति न केवल आगामी पीएलए परियोजना पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी, बल्कि अन्य कंपनियों को राज्य में पर्यावरण के अनुकूल निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
यह पूछने पर कि नीति विशेष रूप से बीसीएमएल पीएलए परियोजना को वित्तीय रूप से कैसे प्रभावित करेगी, उन्होंने कहा, ”हमें इन गणनाओं को करने के लिए कुछ और समय चाहिए। कम से कम कुछ महीने… क्योंकि हम अभी भी सटीक निवेश के आंकड़ों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं, हालांकि व्यापक पूंजीगत व्यय 2000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।”
उन्होंने कहा कि कंपनी विस्तृत नियमों और विनियमों का इंतजार कर रही है, जिनके जल्द ही आने की उम्मीद है और इससे बीसीएमएल को परियोजना के लिए निवेश की राशि को अंतिम रूप देने और नीतिगत लाभों का अनुमान लगाने में मदद मिलेगी।
भाषा पाण्डेय रमण
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