खुद को फसल सुरक्षा उत्पाद विक्रेता से व्यापक समाधान प्रदाता में बदल रही है यूपीएल-एसएएस |

खुद को फसल सुरक्षा उत्पाद विक्रेता से व्यापक समाधान प्रदाता में बदल रही है यूपीएल-एसएएस

खुद को फसल सुरक्षा उत्पाद विक्रेता से व्यापक समाधान प्रदाता में बदल रही है यूपीएल-एसएएस

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Modified Date: December 15, 2024 / 11:19 AM IST
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Published Date: December 15, 2024 11:19 am IST

(लक्ष्मी देवी ऐरे)

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) यूपीएल-सस्टेनेबल एग्रीसॉल्यूशंस (यूपीएल-एसएएस) भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण लेकर चल रही है।

कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशीष डोभाल ने पीटीआई-भाषा के साथ विशेष बातचीत में कहा कि यूपीएल-एसएएस देश के कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रौद्योगिकी, डिजिटल नवोन्मेषण और एक समग्र रणनीति का इस्तेमाल कर रही है।

देश में 40 करोड़ एकड़ में खेती होती है, जिसमें 13 करोड़ किसान शामिल हैं। इनमें से 80-85 प्रतिशत छोटी जोत वाले किसान हैं। ऐसे में कंपनी खुद को फसल सुरक्षा उत्पाद विक्रेता से एक व्यापक समाधान प्रदाता के रूप में बदल रही है।

भारतीय कृषि के जटिल परिदृश्य को रेखांकित करते हुए डोभाल ने बताया, ‘‘प्रत्येक राज्य की अपनी बारीकियां, फसल का तरीका और खेती की सांस्कृतिक स्थितियां हैं।’’

उन्होंने कहा कि उद्योग चुनौतीपूर्ण दौर से उबर चुका है। उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि उद्योग का मंदी का दौर पीछे छूट गया है।

यूपीएल लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी यूपीएल-एसएएस प्रमुख रणनीतिक प्राथमिकताओं के साथ अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति को लागू कर रही है।

इन प्राथमिकताओं में उभरती हुई कीट समस्याओं के लिए फसल सुरक्षा समाधान विकसित करना, जलवायु-स्मार्ट प्रौद्योगिकियों का विस्तार करना, जैव कीटनाशकों और जैव कवकनाशियों में निवेश करना और कृषि मशीनीकरण का दोहन करना तथा सूक्ष्म-बाजार रणनीतियों के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) और डेटा विश्लेषण का लाभ उठाना शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और कृषि में बहुत बदलाव आया है और चार साल पहले उपयोगी समाधान अगले चार वर्षों में उपयोगी नहीं रह सकते हैं….हमारा दृष्टिकोण फसल सुरक्षा समाधान बेचने से कहीं आगे जाता है।’’

डोभाल ने कहा, ‘‘हम किसानों की समस्याओं को सूक्ष्म स्तर पर हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी कृषि प्रौद्योगिकियों और फसल सुरक्षा समाधान में नवोन्मेषण को गति देने के लिए अबू धाबी निवेश प्राधिकरण (एडीआईए), ब्रुकफील्ड और पीएनजी से हाल ही में प्राप्त 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निवेश का लाभ उठाएगी।

डोभाल ने इस बात पर जोर दिया कि यह निवेश अल्पकालिक लाभ के बारे में नहीं है। बल्कि इसका इस्तेमाल डेटा विश्लेषण और प्रौद्योगिकी नवोन्मेषण के माध्यम से कृषि की चुनौतियों को गहराई से समझने और उनका समाधान करने के लिए किया जाएगा।

इस निवेश को डोभाल ने डेटा, विश्लेषण और प्रौद्योगिकी इस्तेमाल के नवीनतम रुझानों में वैश्विक विशेषज्ञता लाने के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि हम मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन से प्रेरित कीट प्रकोप और पानी की कमी सहित उभरती हुई कृषि चुनौतियों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

डोभाल ने कहा कि कंपनी का रणनीतिक रुख सटीक, स्थानीयकृत समाधान विकसित करने के लिए उन्नत विश्लेषण और कृत्रिम मेधा का लाभ उठाने का है। इस रणनीति में एक महत्वपूर्ण माध्यम डिजिटल मंच का इस्तेमाल है, जिसे डोभाल ने किसानों के लिए एक व्यापक समाधान के रूप में वर्णित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम एक बटन दबाकर फसल सलाह, बीमा और मशीन की जानकारी प्रदान कर सकते हैं। एक छोटे से भूमिधारक पारिस्थितिकी तंत्र में प्रौद्योगिकी आवश्यक हो जाती है। डिजिटल मंच अभूतपूर्व पहुंच प्रदान करता है, जो सातों दिन चौबीसों घंटे किसानों से प्रभावी रूप से जुड़ता है।’’

कंपनी के सीईओ ने कृषि समाधानो के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण पर जोर देते हुए रासायनिक और जैव-आधारित हस्तक्षेपों के बीच मिश्रित रणनीति की वकालत की।

उन्होंने कहा, ‘‘हम पूरी तरह से रासायनिक या पूरी तरह से जैविक नहीं हो सकते…सही दृष्टिकोण एक मिश्रित रणनीति है जो पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए फसलों की रक्षा करती है।’’

कृषि को नया रूप देने में प्रमुख रुझानों को रेखांकित करते हुए डोभाल ने कहा कि पिछले साल की चुनौतियों की वजह से पूरे क्षेत्र ने नवोन्मेषण पर ध्यान दिया है। प्रमुख उभरते रुझानों में टिकाऊ खेती पर अधिक ध्यान, जलवायु-अनुकूल कृषि पद्धतियों का विकास, भारत में दूसरी, तीसरी और चौथी श्रेणी के शहरों में आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों के लिए नवीन समाधान तथा बाजार पहुंच में सुधार के लिए तकनीकी हस्तक्षेप शामिल है।

उन्होंने कहा कि पिछले साल की चुनौतियों की वजह से अब कंपनियां अलग तरीके से सोचने लगी हैं। ‘‘हम कृषि की बुनियादी चुनौतियों से निपटने के लिए नवोन्मेषण की ‘लहर’ देख रहे हैं।’’

भाषा अजय

अजय

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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