नयी दिल्ली, छह जनवरी (भाषा) केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने सोमवार को पूर्वोत्तर क्षेत्र के मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे, उत्पादकता को बढ़ाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए 50 करोड़ रुपये की 50 परियोजनाओं की आधारशिला रखी।
मंत्री ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत सिक्किम में जैविक मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विकास के लिए सोरेंग जिले में ‘जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर’ का शुभारंभ किया।
एक सरकारी बयान के अनुसार, पीएमएमएसवाई के तहत कुल 50 परियोजनाओं में से अधिकतम 24 परियोजनाएं सिक्किम में लागू की जाएंगी। इसके बाद असम (12), त्रिपुरा और नगालैंड (3-3) और मेघालय (1) का स्थान है।
असम में, दारंग जिले में एक एकीकृत एक्वा पार्क स्थापित किया जाएगा, जिसमें सालाना 150 टन मछली उत्पादन की क्षमता होगी और 2,000 रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
कामरूप जिले में एक बड़ा मछली चारा संयंत्र स्थापित किया जाएगा, जिसकी क्षमता सालाना 20,000 टन उत्पादन करने की होगी, जबकि विभिन्न जिलों में हैचरी परियोजनाओं का लक्ष्य प्रति वर्ष पांच करोड़ स्पॉन का उत्पादन करना है, जिससे स्थानीय जलीय कृषि को काफी बढ़ावा मिलेगा।
मणिपुर में, थौबल और इंफाल जिलों में बर्फ संयंत्र और कोल्ड स्टोरेज इकाइयां स्थापित की जाएंगी, ताकि मछली उत्पादन को संरक्षित किया जा सके और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। इसके अतिरिक्त, स्थानीय रूप से महत्वपूर्ण मछली प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करने वाली हैचरी जैव विविधता के संरक्षण और राज्य में मछली उत्पादन को बढ़ाने में योगदान देंगी।
मेघालय में परियोजनाएं पूर्वी खासी हिल्स जिले में मनोरंजक मत्स्य पालन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। एक लोकप्रिय पर्यटन क्षेत्र में रणनीतिक रूप से स्थित इस पहल से आगंतुकों को आकर्षित करने, स्थानीय रोजगार पैदा करने और क्षेत्र के पर्यटन का आकर्षण बढ़ने की उम्मीद है।
नगालैंड में, तीन परियोजनाओं में मोकोकचुंग और किफिर जिलों में मीठे पानी की फिनफिश हैचरी का निर्माण शामिल होगा। ये हैचरी सामूहिक रूप से सालाना 2.1 करोड़ फ्राई का उत्पादन करेंगी, जिससे जलीय कृषि में मदद मिलेगी और आदिवासी समुदायों के लिए आर्थिक अवसर उपलब्ध होंगे।
त्रिपुरा में परियोजनाओं में सजावटी मछली पालन इकाइयों और फिनफिश हैचरी की स्थापना शामिल होगी।
सिक्किम 24 परियोजनाओं को लागू करेगा, जिसमें टिकाऊ मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) की स्थापना, गंगटोक और अन्य शहरों में मछली कियोस्क का निर्माण और सजावटी मछली पालन इकाइयों का विकास शामिल है।
मंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों में पीएमएमएसवाई के कार्यान्वयन की भी समीक्षा की।
बैठक में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री एस पी बघेल और जॉर्ज कुरियन भी मौजूद थे।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
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