नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) बैंकों की दो यूनियन एआईबीओसी और एआईबीईए ने बैंकिंग क्षेत्र की समग्र दक्षता और व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) का उनके संबंधित प्रायोजक बैंकों के साथ विलय करने की मांग की है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में इन यूनियन ने कहा है कि यह जरूरी है कि परिचालन दक्षता के वांछित स्तर को सुनिश्चित करने के लिए आरआरबी पर नियंत्रण का दोहरापन समाप्त होना चाहिए और उन्हें प्रायोजक बैंकों की तरह परिचालन और नियामकीय ढांचे के तहत लाया जाना चाहिए और इन दोनों संस्थाओं के विलय से यह सुनिश्चित किया जा सकता है।
आरआरबी को अपने तकनीकी मंच को प्रायोजक बैंकों की तरह उच्चतर संस्करण में उन्नत करने के लिए कहा गया है। सभी 43 आरआरबी में तकनीकी उन्नयन का काम चल रहा है।
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) और अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का उनके प्रायोजक बैंकों के साथ विलय एक सहज तकनीकी परिवर्तन होगा।
इसमें कहा गया है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का उनके प्रायोजक बैंकों के साथ विलय से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कर्मचारियों का कौशल आधुनिक बैंकिंग व्यवहार के अनुरूप हो जाएगा तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और प्रायोजक बैंकों में कर्मचारियों की कमी के मुद्दों का प्रभावी ढंग से समाधान हो जाएगा।
भाषा अनुराग अजय
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