नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश ने रिलायंस जियो द्वारा मांगी गई कानूनी राय के जवाब में कहा कि उपग्रह संचार के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन पर दूरसंचार नियामक ट्राई के परामर्श पत्र में जमीनी दूरसंचार नेटवर्क के साथ समान अवसर के मुद्दे को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
ऐसा माना जा रहा है कि रिलायंस जियो ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा जारी परामर्श पत्र पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव से प्राप्त कानूनी राय सौंप दी है।
रिलायंस जियो ने दूरसंचार नियामक ट्राई से उपग्रह संचार के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन पर संशोधित दस्तावेज लाने का आग्रह किया है। उसने आरोप लगाया है कि इसमें उपग्रह और स्थलीय सेवाओं के बीच समान अवसर सुनिश्चित करने के महत्वपूर्ण बिंदु की अनदेखी की गई है।
राव ने रिलायंस जियो द्वारा मांगी गई कानूनी राय पर कहा, ‘‘ वर्तमान तथ्यों में ट्राई द्वारा जारी परामर्श पत्र में स्थलीय पहुंच सेवाओं के साथ समान अवसर के मुद्दे को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप हितधारक टिप्पणी देने के अवसर से वंचित हो गए और …सिफारिशें देने से पहले परामर्श में शामिल होने का अवसर नहीं मिल पाया, जैसा कि दूरसंचार विभाग ने विशेष रूप से अनुरोध किया था।’’
उन्होंने कहा कि स्थलीय पहुंच सेवाओं के साथ समान अवसर के पहलू पर टिप्पणियां आमंत्रित न कर ट्राई…. ट्राई अधिनियम के तहत अपने पारदर्शिता दायित्वों का घोर उल्लंघन कर रहा है।
कंपनी ने इससे पहले ट्राई के चेयरमैन अनिल कुमार लाहोटी को ‘‘ कुछ उपग्रह आधारित वाणिज्यिक संचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन की शर्तों तथा नियमों’’ की सिफारिश करने के लिए परामर्श पत्र में संशोधन के वास्ते पत्र लिखा था, लेकिन नियामक ने कंपनी के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
भाषा निहारिका मनीषा
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