नयी दिल्ली : शेयर बाजारों में गिरावट के बीच इस साल छोटी कंपनियों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों से कमजोर रहा है। बीएसई स्मॉलकैप और मिडकैप में इस साल अबतक 13 प्रतिशत की गिरावट आई है और सेंसेक्स की तुलना में इनका प्रदर्शन कहीं खराब रहा है।हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ‘अच्छे समय’ में छोटी कंपनियों के शेयर ‘लार्ज कैप’ की तुलना में ज्यादा चढ़ते हैं। ऐसे में मौजूदा खराब दौर में इनमें कहीं अधिक ‘करेक्शन’ सामान्य बात है।
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भू-राजनीतिक तनाव, मुद्रास्फीति की चिंताओं और विदेशी कोषों की जबर्दस्त बिकवाली के बीच इस साल शेयर बाजारों को कई प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझना पड़ा है। विशेषज्ञों ने कहा कि इन चुनौतियों की वजह से घरेलू और वैश्विक बाजारों में बेचैनी है। बीएसई का स्मॉलकैप सूचकांक इस साल अबतक 3,816.95 अंक यानी 12.95 प्रतिशत और मिडकैप 2,314.51 अंक यानी 9.26 फीसदी टूट चुका है। इसकी तुलना में 30 शेयरों वाले सेंसेक्स में 3,771.98 अंक या 6.47 प्रतिशत की गिरावट आई है।
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इक्विटीमास्टर के सह-प्रमुख (शोध) राहुल शाह ने कहा, ‘‘मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक अच्छे समय के दौरान सेंसेक्स की तुलना में कहीं अधिक चढ़े थे। इसलिए यह स्वाभाविक है कि वे बुरे समय में सेंसेक्स से अधिक गिरेंगे।’’ उन्होंने आगे कहा कि जहां तक मौजूदा दौर का सवाल है, बाजार अब महंगे नहीं हैं, लेकिन वे बहुत सस्ते भी नहीं हैं। शाह ने कहा, ‘‘यह एक ऐसा बाजार है जहां गुणवत्ता और वृद्धि को इनाम मिलता है जबकि ऊंचे मूल्यांकन और खराब गुणवत्ता को खारिज कर दिया जाता है।’’
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इस साल 20 जून को बीएसई स्मॉलकैप अपने 52 सप्ताह के निचले स्तर 23,261.39 अंक पर आ गया था। यह 18 जनवरी को अपने एक साल के शिखर 31,304.44 अंक पर था। इसी तरह मिडकैप भी 20 जून को अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर 20,814.22 अंक तक गिर गया था। यह पिछले साल 19 अक्टूबर को अपने एक साल के उच्चस्तर 27,246.34 तक चढ़ गया था।
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सेंसेक्स इस साल 17 जून को 52 सप्ताह के निचले स्तर 50,921.22 अंक तक फिसल गया था। 19 अक्टूबर, 2021 को सेंसेक्स अपने एक साल के उच्चस्तर 62,245.43 अंक पर पहुंच गया था। एमके इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स लि. के कोष प्रबंधक सचिन शाह ने कहा, ‘‘पिछले छह माह में वैश्विक और घरेलू दोनों के पूंजी बाजारों में थोड़ी घबराहट है। स्पष्ट रूप से यह घबराहट आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों, भू-राजनीतिक तनाव, उच्च मुद्रास्फीति के माहौल, ऊंची ब्याज दरों और विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली की वजह से है।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में यह लगता है कि मिडकैप और स्मॉलकैप ने अधिक कमजोर प्रदर्शन किया है। लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि पिछले दो साल में मिडकैप और स्मॉलकैप का प्रदर्शन कहीं ज्यादा बेहतर रहा था।’’छोटी कंपनियों के शेयरों ने 2021 में शानदार प्रदर्शन करते हुए निवेशकों को 63 प्रतिशत का प्रतिफल दिया था।2021 में मिडकैप 7,028.65 अंक या 39.17 प्रतिशत चढ़ा था, जबकि स्मॉलकैप 11,359.65 अंक या 62.76 प्रतिशत उछला था। इसकी तुलना में सेंसेक्स पिछले साल 10,502.49 अंक या 21.99 प्रतिशत के लाभ में रहा था।
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9 hours ago