मूल सामग्री की चोरी से 2023 में 22,400 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ : रिपोर्ट |

मूल सामग्री की चोरी से 2023 में 22,400 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ : रिपोर्ट

मूल सामग्री की चोरी से 2023 में 22,400 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ : रिपोर्ट

:   Modified Date:  October 23, 2024 / 04:09 PM IST, Published Date : October 23, 2024/4:09 pm IST

नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) भारतीय मनोरंजन उद्योग को 2023 में मूल सामग्री की चोरी से 22,400 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

ईवाई तथा इंटरनेट एवं मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की ‘द रॉब रिपोर्ट’ में मूल सामग्री की चोरी (पाइरेसी) के जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए मजबूत नियमन तथा सहयोगात्मक प्रयासों की भी वकालत की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 51 प्रतिशत मीडिया उपभोक्ता मूल सामग्री को अवैध स्रोतों (पायरेटेड) से हासिल करते हैं। इसमें सबसे अधिक 63 प्रतिशत ऑनलाइन मचों के जरिये ऐसा किया जा रहा है।

इसमें कहा गया, ‘‘ भारत में मूल सामग्री की चोरी के जरिये 2023 में 22,400 करोड़ रुपये की कमाई की गई। यह भारत के मीडिया तथा मनोरंजन उद्योग द्वारा उत्पन्न खंड-वार राजस्व की तुलना में चौथे स्थान पर रहा।’’

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ इसमें से 13,700 करोड़ रुपये सिनेमाघरों में अवैध तरीके बनाई की गई सामग्री से, जबकि 8,700 करोड़ रुपये ओटीटी मंचों की सामग्री से हासिल किए गए। अनुमान है कि इससे 4,300 करोड़ रुपये तक का संभावित माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का नुकसान हुआ है।’’

मूल सामग्री चोरी अर्थात ‘पाइरेसी’ से तात्पर्य किसी की कॉपीराइट सामग्री की अनधिकृत नकल, वितरण या इस्तेमाल से है। इसमें संगीत, फिल्में, सॉफ्टवेयर और बौद्धिक संपदा आदि शामिल हो सकते हैं। इसे चोरी का एक रूप माना जाता है क्योंकि यह मूल रचनाकारों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और इससे उन्हें महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान हो सकता है।

आईएएमएआई की डिजिटल मनोरंजन समिति के चेयरमैन रोहित जैन ने हितधारकों के बीच सामूहिक कार्रवाई की तत्काल जरूरत पर बल दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में डिजिटल मनोरंजन की तीव्र वृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता है। 2026 तक फिल्म मनोरंजन का कारोबार 14,600 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, इस संभावना को मूल सामग्री की चोरी से गंभीर खतरा है। सभी हितधारकों सरकारी निकायों, उद्योग जगत की कंपनियों तथा उपभोक्ताओं को इस मुद्दे से निपटने के लिए एकजुट होने की जरूरत है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की सामग्री अधिकतर 19 से 34 वर्ष के आयुवर्ग के लोगों को आकर्षित करती है।

भाषा निहारिका अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)