आईएफएससी सूचकांकों पर सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कारोबार में न्यूनतम शेयरों की मात्रा घटकर 10 प्रतिशत |

आईएफएससी सूचकांकों पर सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कारोबार में न्यूनतम शेयरों की मात्रा घटकर 10 प्रतिशत

आईएफएससी सूचकांकों पर सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कारोबार में न्यूनतम शेयरों की मात्रा घटकर 10 प्रतिशत

:   Modified Date:  August 29, 2024 / 02:09 PM IST, Published Date : August 29, 2024/2:09 pm IST

नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) वित्त मंत्रालय ने गांधीनगर आईएफएससी में शेयर सूचकांकों में सूचीबद्ध होने के लिए कंपनियों को आकर्षित करने के प्रयास में कारोबार के लिए उपलब्ध शेयरों की आवश्यकता को 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।

गांधीनगर स्थित गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (गिफ्ट सिटी) विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 के तहत भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) है।

मंत्रालय के आधिकारिक बयान के अनुसार, आर्थिक मामलों के विभाग ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) के भीतर अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों में सूचीबद्ध होने की इच्छुक भारतीय कंपनियों के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप सूचीबद्ध आवश्यकताओं को आसान बनाने के लिए प्रतिभूति अनुबंध विनियमन नियम (एससीआरआर), 1956 में संशोधन किया है।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण उपकरण) 2019 और कंपनियां (अनुमेय क्षेत्राधिकार में शेयरों की सूचबीद्धता) नियम 2024 के तहत अंतररष्ट्रीय सूचकांक योजना भारत में निगमित कंपनियों के शेयरों को प्रत्यक्ष सूचीबद्ध करने, सार्वजनिक भारतीय कंपनियों को गिफ्ट-आईएफएससी में अनुमत अंतरराष्ट्रीय शेयर सूचकांकों में अपने शेयर जारी करने और सूचीबद्ध करने में सक्षम बनाने के लिए एक नियामक ढांचा प्रदान करती है।

इसे और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए, नए नियमों में यह प्रावधान किया गया है कि आईएफएससी में केवल अंतरराष्ट्रीय सूचकांक पर सूचीबद्ध होने की इच्छुक भारतीय कंपनियों के लिए प्रस्ताव दस्तावेज के अनुसार जनता को न्यूनतम पेशकश व आवंटन के लिए निर्गम-पश्चात शेयर की आवश्यकता कम से कम 10 प्रतिशत होगी।

इसमें कहा गया है कि, ऐसी कंपनियों के लिए निरंतर सूचीबद्धता की आवश्यकता भी 10 प्रतिशत निर्धारित की गई है, जैसा कि एससीआरआर के तहत रेखांकित किया गया है। एससीआरआर में संशोधन से उभरते व प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भारतीय स्टार्टअप तथा कंपनियों के लिए वैश्विक पूंजी तक पहुंच आसान होगी।

मंत्रालय ने कहा कि इससे विशेष रूप से वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ने वाली तथा अन्य बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के अवसरों की तलाश करने वाली भारतीय कंपनियों को लाभ होगा।

यह पहल आईएफएससी में एक जुझारू व विश्व स्तरीय नियामक और कारोबारी माहौल प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, जिससे वैश्विक वित्तीय प्रणाली में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही के दौरान गुजरात स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में सॉवरेन ग्रीन बांड का कारोबार शुरू हो सकता है। आरबीआई ने अप्रैल में घोषणा की थी कि वह गिफ्ट सिटी में सॉवरेन ग्रीन बांड के व्यापार को सक्षम करने के लिए एक रूपरेखा जारी करेगा।

सरकार 2022-23 से ग्रीन बॉन्ड के जरिये धन जुटा रही है और पिछले दो वर्षों में कुल 36,000 करोड़ रुपये जुटा चुकी है।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)