नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान दीर्घकालीन प्रतिभूतियों के जरिये आठ लाख करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने की योजना बना रही है। यह राशि राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए जुटायी जाएगी।
आधिकारिक बयान के अनुसार, 2025-26 के लिए बाजार से कुल 14.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज जुटाये जाने का अनुमान है। इसमें से लंबी और निश्चित परिपक्वता अवधि वाली प्रतिभूतियों के माध्यम से पहली छमाही में आठ लाख करोड़ रुपये यानी 54 प्रतिशत कर्ज लेने की योजना है। इसमें 10,000 करोड़ रुपये के सरकारी हरित बॉन्ड शामिल हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में अगले वित्त वर्ष में राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए दीर्घकालीन प्रतिभूतियां जारी कर 14.82 लाख करोड़ रुपये उधार लेने का प्रस्ताव किया है।
राजकोषीय घाटा यानी सरकार के कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच अंतर वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 4.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है जबकि चालू वित्त वर्ष में इसके 4.8 प्रतिशत रहने की संभावना है।
निरपेक्ष रूप से राजकोषीय घाटा 2025-26 के लिए 15,68,936 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।
राजकोषीय घाटे की भरपाई के लिए, दीर्घकालीन प्रतिभूतियों से शुद्ध बाजार कर्ज 11.54 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। शेष राशि लघु बचत और अन्य स्रोतों से आने की उम्मीद है।
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था, ‘‘वित्त वर्ष 2025-26 में कर्ज के अलावा कुल प्राप्तियां और व्यय क्रमशः 34.96 लाख करोड़ रुपये और 50.65 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। शुद्ध कर प्राप्तियां 28.37 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।’’
आधिकारिक बयान के अनुसार, सकल उधारी साप्ताहिक आधार पर 25,000 करोड़ रुपये से 36,000 करोड़ रुपये के बीच प्रतिभूतियों की 26 नीलामी के माध्यम से जुटायी जाएगी।
बाजार उधारी तीन, पांच, सात, 10, 15, 30, 40 और 50 साल की अवधि की प्रतिभूतियों के जरिये जुटायी जाएगी। विभिन्न परिपक्वता अवधि के तहत उधारी (हरित बॉन्ड सहित) का हिस्सा तीन साल (5.3 प्रतिशत), पांच साल (11.3 प्रतिशत), सात साल (8.2 प्रतिशत), 10 साल (26.2 प्रतिशत), 15 साल (14 प्रतिशत), 30 साल (10.5 प्रतिशत), 40 साल (14 प्रतिशत) और 50 साल (10.5 प्रतिशत) होगा।
सरकार ने कहा कि नीलामी अधिसूचनाओं में उल्लेख की गई प्रत्येक प्रतिभूति के मामले में ‘ग्रीन शू विकल्प’ यानी अतिरिक्त बोली आने पर 2,000 करोड़ रुपये तक की बोली को स्वीकार करने का अधिकार सुरक्षित रखा जाएगा।
भाषा रमण अजय
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