दूरसंचार निकाय सीओएआई ने लाइसेंस शुल्क में कटौती की वकालत की |

दूरसंचार निकाय सीओएआई ने लाइसेंस शुल्क में कटौती की वकालत की

दूरसंचार निकाय सीओएआई ने लाइसेंस शुल्क में कटौती की वकालत की

:   Modified Date:  October 24, 2024 / 04:43 PM IST, Published Date : October 24, 2024/4:43 pm IST

नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर (भाषा) दूरसंचार उद्योग के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने दूरसंचार कंपनियों के लिए समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित शुल्क को यथाशीघ्र समाप्त करने या कम करने का बृहस्पतिवार को आग्रह किया। साथ ही लाइसेंस शुल्क को सकल राजस्व का 0.5-1 प्रतिशत करने की वकालत भी की।

सीओएआई ने तर्क दिया कि स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग करने और बाजार मूल्य पर इसके आवंटन के साथ लाइसेंस शुल्क लगाने का औचित्य बहुत पहले ही समाप्त हो गया था।

दूरसंचार निकाय के सदस्यों में रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया शामिल हैं।

उसने कहा कि दूरसंचार कंपनियों से एजीआर के आधार पर लिया जाने वाला भुगतान कंपनियों के लिए ‘‘दोहरी मार’’ है, क्योंकि स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए उन्हें पहले ही भारी निवेश करना पड़ता है।

सीओएआई ने कहा, ‘‘ यह स्पष्ट है कि दूरसंचार सेवाप्रदाता (टीएसपी) पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के जरिये स्पेक्ट्रम खरीदते हैं और इसके इस्तेमाल का अधिकार हासिल करने के लिए एक बड़ी राशि का भुगतान करते हैं। हालांकि, इसके साथ ही टीएसपी से एजीआर के आधार पर भी भुगतान लिया जाता है, जो स्पेक्ट्रम की खरीद के लिए किए गए भारी निवेश को देखते हुए उनके लिए दोहरी मार है।’’

दूरसंचार उद्योग के संगठन ने उदाहरण देते हुए तर्क दिया कि कोई उपभोक्ता जो संपत्ति खरीदता है, वह उसमें रहने के लिए कोई किरायेदारी शुल्क नहीं देता है।

सीओएआई के महानिदेशक एस. पी. कोचर ने कहा, ‘‘ हालांकि दूरसंचार क्षेत्र में टीएसपी भारी कीमत पर स्पेक्ट्रम खरीदते हैं और उसके बाद उसी के लिए एजीआर से संबंधित भारी भुगतान भी करते हैं। यह एक मकान खरीदने और उसके लिए किराएदार का किराया चुकाने के बराबर होगा।’’

संगठन ने कहा, 1994 की राष्ट्रीय दूरसंचार नीति (एनटीपी) की शुरुआत के समय जब लाइसेंस को स्पेक्ट्रम के साथ जोड़ा गया था तो लाइसेंस शुल्क उचित था। हालांकि, इसके बाद 2012 में स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग कर दिया गया और वर्तमान में पारदर्शी तथा खुली नीलामी प्रक्रिया के जरिये स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाता है।

उसने कहा कि यह एक सर्वविदित तथ्य है कि दूरसंचार क्षेत्र के विकास का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, जो न केवल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में योगदान देता है, बल्कि उत्पादकता में भी वृद्धि करता है। साथ ही आम लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाता है।

गौरतलब है कि भारत में दूरसंचार कंपनियां, दूरसंचार विशिष्ट एजीआर से संबंधित राशि का भुगतान करने के अलावा देश की किसी भी अन्य कंपनी की तरह सीएसआर, जीएसटी तथा कॉरपोरेट कर का भी भुगतान करती हैं।

सीओएआई ने कहा, ‘‘ इससे दूरसंचार कारोबार से जुड़ी कंपनियां अन्य व्यवसायों की तुलना में काफी नुकसान में आ जाती हैं तथा नियमित प्रौद्योगिकी उन्नयन में निवेश के लिए उनके पास अधिशेष सीमित हो जाता है।’’

लाइसेंस शुल्क से संबंधित भुगतान को समाप्त करने या कम करने से संचालकों को तंत्र के निरंतर उन्नयन तथा विस्तार के लिए राजस्व को वापस तंत्र में लगाने में सुविधा मिलेगी। इससे वे देश के लोगों को अत्याधुनिक सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हो सकेंगे।

इसके अलावा इससे विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल समावेश को और अधिक तेजी से बढ़ावा मिलेगा।

कोचर ने कहा, ‘‘…..हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह एजीआर से संबंधित शुल्क को समाप्त करने/कम करने के हमारे अनुरोध पर जल्द से जल्द विचार करें…’’

भाषा निहारिका अजय

अजय प्रेम

प्रेम

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)