टाटा पावर डीडीएल को बिजली ट्रांसफॉर्मर का जीवनकाल बढ़ाने वाली प्रौद्योगिकी के लिए मिला पेटेंट |

टाटा पावर डीडीएल को बिजली ट्रांसफॉर्मर का जीवनकाल बढ़ाने वाली प्रौद्योगिकी के लिए मिला पेटेंट

टाटा पावर डीडीएल को बिजली ट्रांसफॉर्मर का जीवनकाल बढ़ाने वाली प्रौद्योगिकी के लिए मिला पेटेंट

:   Modified Date:  September 23, 2024 / 04:02 PM IST, Published Date : September 23, 2024/4:02 pm IST

नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) बिजली वितरण कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लि. (टाटा पावर डीडीएल) को ट्रांसफॉर्मर के जीवनकाल को लंबा करने वाले उपकरण ‘सेल्फ-रीजेनरेटिंग ट्रांसफार्मर ब्रीदर’ के लिए पेटेंट मिला है।

कंपनी ने सोमवार को बयान में कहा कि यह उपकरण बिजली ट्रांसफार्मर को नमी से बचाता है और इस तरह उसका जीवनकाल लंबा करता है।

उत्तरी दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली टाटा पावर डीडीएल ने कहा, ‘‘कंपनी को ‘सेल्फ-रीजेनरेटिंग ट्रांसफार्मर ब्रीदर’ उपकरण के लिए 20 साल का पेटेंट मिला है।’’

बयान के अनुसार, ‘‘ यह प्रौद्योगिकी टाटा पावर-डीडीएल के नवोन्मेष के क्षेत्र में एक और उल्लेखनीय उपलब्धि है। इससे ट्रांसफॉर्मर ब्रीदर को नमी से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उसमें सिलिका जेल को बदलने संबंधी रखरखाव कार्यों में भी कमी आएगी।’’

उल्लेखनीय है कि इस प्रौद्योगिकी के चलते सिलिका जेल को केवल ट्रांसफॉर्मर के रखरखाव के दौरान ही जांचा या बदला जाएगा। यह आमतौर पर दो साल में एक बार किया जाता है। इससे उलट, पारंपरिक डिजाइन वाले ट्रांसफॉर्मर में सिलिका जेल को प्रत्येक दो साल की रखरखाव अवधि में चार से छह बार बदला जाता है।

इस बारे टाटा पावर डीडीएल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गजानन एस काले ने कहा, “हम मौजूदा चुनौतियों से पार पाने के लिए लगातार नवोन्मेष और नयी प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं… ताकि हमारे उपभोक्ताओं को बिजली की निर्बाध आपूर्ति होती रहे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह पेटेंट प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारी क्षमताओं का सबूत है, जो प्रतिकूल मौसम में बिजली आपूर्ति से जुड़े बुनियादी ढांचा को मजबूत बनाये रखेगी।’’

बयान के अनुसार, टाटा पावर-डीडीएल की इंजीनियरिंग टीम ने दिसंबर, 2015 में ‘सेल्फ-रीजेनरेटिंग ट्रांसफार्मर ब्रीदर’ प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। इसके बाद, 2016-17 में, 20 ब्रीदर को पायलट आधार पर लगाया गया था। इसकी सफलता के बाद कंपनी ने 2016 में इसके लिए पेटेंट को लेकर आवेदन किया था।

भाषा

रमण अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)