हल्दी निर्यात को 2030 तक एक अरब डॉलर करने के लिए लक्षित प्रयासों की जरूरत : रिपोर्ट |

हल्दी निर्यात को 2030 तक एक अरब डॉलर करने के लिए लक्षित प्रयासों की जरूरत : रिपोर्ट

हल्दी निर्यात को 2030 तक एक अरब डॉलर करने के लिए लक्षित प्रयासों की जरूरत : रिपोर्ट

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Modified Date: January 15, 2025 / 07:24 PM IST
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Published Date: January 15, 2025 7:24 pm IST

नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) भारत को हल्दी उत्पादन को स्थिर करने और वर्ष 2030 तक हल्दी निर्यात में एक अरब डॉलर के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के मकसद से किसानों को सशक्त बनाने को लक्षित हस्तक्षेपों को लागू करने की आवश्यकता है। आईसीआरआईईआर-एमवे द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

आईसीआरआईईआर के निदेशक दीपक मिश्रा ने बुधवार को कहा कि तेलंगाना के निजामाबाद में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के शुभारंभ के एक दिन बाद जारी की गई इस रिपोर्ट में वैश्विक हल्दी उत्पादक और निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने की रणनीतियों की रूपरेखा दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड जैसी एकल नोडल एजेंसी की स्थापना से गुणवत्ता मानकों, उत्पत्ति स्थल का पता लगाने की क्षमता सुनिश्चित हो सकती है और प्रमाणन और परीक्षण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जा सकता है।

एक बार घरेलू गुणवत्ता और मानक व्यवस्थित हो जाने के बाद, प्रमुख निर्यात बाजारों के साथ ताजा और प्रसंस्कृत हल्दी दोनों के लिए मानकों और प्रमाणन के लिए पारस्परिक मान्यता समझौतों पर हस्ताक्षर करने से अनुपालन का बोझ कम हो सकता है और व्यापार बढ़ सकता है।

रिपोर्ट कहती है, ‘‘उच्चस्तरीय उत्पाद मूल्य शृंखलाओं को विकसित करने में सहायता के लिए सब्सिडी को जोड़ा जाना चाहिए।’’

उदाहरण के लिए, तृतीय-पक्ष प्रमाणन, उच्च कर्क्यूमिन किस्मों की खेती, मूल्यवर्धित हल्दी उत्पादों के लिए अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) और जीआई उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी हो सकती है।

इसमें कहा गया है कि फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे में निवेश, हल्दी एफपीओ का विस्तार और अनुसंधान और विकास तथा वैश्विक सहयोग के माध्यम से ज्ञान साझा करना प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

रिपोर्ट में उच्च-कर्क्यूमिन किस्मों को बढ़ावा देने और अग्रणी हल्दी निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का लाभ उठाने का सुझाव दिया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘उत्पादन व्यवहार को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के साथ जोड़कर और एक सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देकर, भारत वैश्विक बाजार में उच्च गुणवत्ता वाली हल्दी के एक विश्वसनीय और पसंदीदा आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता है।’’

भारत का वर्तमान हल्दी की खेती का रकबा 2,97,000 हेक्टेयर है। वित्त वर्ष 2023-24 में हल्दी उत्पादन 10.4 लाख टन रहा है।

भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (आईसीआरआईईआर) और एमवे इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई रिपोर्ट में नीति-निर्माताओं, व्यापारियों, निगमों और प्रसंस्करणकर्ताओं को शामिल करने वाले सहयोगी मंचों के महत्व पर जोर दिया गया है।

एमवे इंडिया के प्रबंध निदेशक रजनीश चोपड़ा ने कहा कि खाद्य सुरक्षा को पोषण सुरक्षा से जोड़ने और हल्दी को न्यूट्रास्युटिकल (पोषण और औषध) के रूप में बढ़ावा देने की रिपोर्ट का दृष्टिकोण भारत को वैश्विक हल्दी केंद्र बनाने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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