नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) सरकार ने सोमवार को कहा कि दोहरे कराधान से बचाव के समझौते में ‘सर्वाधिक तरजीही देश’ (एमएफएन) का प्रावधान निलंबित करने के स्विट्जरलैंड के फैसले का भारत और ईएफटीए समूह के बीच व्यापार समझौते में जताई गई प्रतिबद्धताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
स्विट्जरलैंड सरकार ने भारत को दिया गया एमएफएन दर्जा पिछले हफ्ते निलंबित कर दिया। इस कदम से भारत में स्विस निवेश प्रभावित होने और वहां पर सक्रिय भारतीय कंपनियों पर अधिक कर लगाए जाने की आशंका बढ़ी है।
स्विट्जरलैंड चार यूरोपीय देशों के समूह ईएफटीए का भी हिस्सा है जिसने भारत के साथ मार्च में व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के सदस्यों में आइसलैंड, लीकटेंस्टीन और नॉर्वे भी शामिल हैं।
स्विट्जरलैंड इस समूह में शामिल देशों में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने एमएफएन दर्जा निलंबित किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘ईएफटीए पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’
भारत के साथ मार्च में हुए व्यापार समझौते के तहत ईएफटीए देशों ने 100 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता जताई थी। वहीं भारत ने स्विस घड़ियों, चॉकलेट और कटे एवं पॉलिश किए गए हीरों जैसे कई उत्पादों को कम या शून्य शुल्क पर आयात की अनुमति दी थी।
हालांकि, भारत और ईएफटीए समझौते को अभी लागू किया जाना बाकी है।
इसके साथ ही बर्थवाल ने कहा कि ब्रिटेन ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए बातचीत का सिलसिला अगले साल जनवरी में दोबारा शुरू करने का सुझाव दिया है।
प्रस्तावित एफटीए पर दोनों देशों के बीच बातचीत जनवरी, 2022 में शुरू हुई थी। इस साल दोनों देशों में आम चुनाव होने की वजह से 14वें दौर की बातचीत थम गई थी।
वाणिज्य सचिव ने कहा, ‘‘ब्रिटेन जनवरी में बातचीत शुरू करना चाहता है। हमारा प्रतिनिधिमंडल वहां जाएगा। हम उन सभी मुद्दों को उठाएंगे, जहां हमने छोड़ा है। इसकी तारीख तय होने का काम जारी है।’’
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय
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