नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिर नीतियों और राज्यों में कारोबारी सुगमता में और सुधार से देश के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि को काफी बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्र, विशेषकर सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने तथा हजारों नौकरियां पैदा करने की अपार संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही 14 क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू करने, शुल्क में बदलाव करने और घरेलू कंपनियों को समर्थन देने और विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ाने के लिए विभिन्न उत्पादों के लिए अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी करने जैसे कई कदम उठाए हैं।
फर्स्ट सोलर के उपाध्यक्ष और भारत में प्रबंध निदेशक सुजॉय घोष ने कहा, “स्थिर नीतियों और राज्य स्तर पर कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने से देश के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि को काफी बढ़ावा मिलेगा।”
उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल वैकल्पिक स्थानों पर इकाइयां स्थापित करने की तलाश कर रही कंपनियों के लिए अवसर प्रदान करती है।
इसी तरह के विचार साझा करते हुए एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि पीएलआई योजना देश को चीन पर निर्भरता कम करने में मदद कर रही है।
देश उन वस्तुओं पर डंपिंग रोधी और परोक्ष शुल्क भी लगा रहा है, जिन्हें पड़ोसी देश द्वारा सब्सिडी दी जा रही है।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाना, जोखिम आधारित विनियमनों का उपयोग करना तथा आधुनिक अवसंरचना विकास जैसे कदम भारत से निर्मित एवं निर्यातित वस्तुओं की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने में सहायक होंगे।
जीटीआरआई ने छोटे एवं मझोले उद्यमों को समर्थन देने, गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों को गैर-शुल्क बाधाओं में बदलने से रोकने, नियामकीय प्रभाव आकलन, विश्वस्तर पर स्वीकार्य मानकों का विकास करने तथा भारत की गुणवत्ता प्रणालियों को मजबूत करने के लिए व्यापारिक साझेदारों के साथ परस्पर मान्यता वाले समझौते करने की भी सिफारिश की।
भाषा अनुराग अजय
अजय
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