आपूर्ति कम होने से सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन तेल कीमतों में सुधार |

आपूर्ति कम होने से सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन तेल कीमतों में सुधार

आपूर्ति कम होने से सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन तेल कीमतों में सुधार

:   Modified Date:  September 12, 2024 / 08:45 PM IST, Published Date : September 12, 2024/8:45 pm IST

नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) स्थानीय खरीफ तिलहन फसलों की आवक की उम्मीदों के बीच आयातकों द्वारा आयात कम किये जाने की वजह से आपूर्ति घटने (शॉर्ट सप्लाई) के कारण देश के तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। वहीं नई मूंगफली फसल की आवक के बीच मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई। सामान्य कारोबार के बीच सरसों तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने बताया कि आयातकों ने सोयाबीन, सीपीओ और पामोलीन का कम आयात किया है। जिसकी वजह से इन खाद्य तेलों की ‘शॉर्ट सप्लाई’ (कम आपूर्ति) की स्थिति बन गयी है। इस ‘शॉर्ट सप्लाई’ के कारण आयात करने पर बंदरगाह पर जिस सोयाबीन का दाम 8,600 रुपये क्विंटल पड़ता है वह प्रीमियम के साथ 9,450 रुपये क्विंटल के दाम बिक रहा है। आयात करने पर जिस पामोलीन का दाम 9,900 रुपये क्विंटल पड़ता है वह प्रीमियम के साथ 10,150 रुपये क्विंटल के ऊंचे दाम पर बिक रहा है।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन तेल आयात का भाव 92.50 रुपये किलो और पामोलीन तेल का भाव 99 रुपये किलो बैठता है। खुदरा बाजार में यही पामोलीन तेल 115-120 रुपये लीटर बिक रहा है जबकि सोयाबीन तेल पामोलीन से कहीं अधिक दाम यानी 140-150 रुपये लीटर बिक रहा है। आयात में सस्ता बैठने के बावजूद खुदरा में सोयाबीन तेल का दाम पामोलीन तेल से महंगा कैसे बिक रहा है? इस ओर ध्यान देने की जरुरत है।

सूत्रों ने कहा कि देश के कुछ राज्यों में प्रमुख नेताओं ने सोयाबीन और कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और बढ़ाने की मांग की है। लेकिन जब तब देशी तेल-तिलहन का बाजार नहीं बनाया जायेगा एमएसपी बढ़ाते रहने से देश के तिलहन किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। मौजूदा समय में सोयाबीन की खरीद, पिछले साल के एमएसपी से कम दाम पर भी ठीक से नहीं हो पा रही है। ऐसे में एमएसपी बढ़ाने का बयान बेतुका जान पड़ता है। अगर सरकार को खाद्य तेलों की महंगाई पर लगाम लगानी है तो उसे पोर्टल बनाकर कर खाद्य तेल कंपनियों को अपने अधिकतम खुदररा मूल्य (एमआरपी) का निरंतर खुलासा करने का निर्देश जारी करना होगा।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,450-6,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,500-6,775 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,320-2,620 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,080-2,180 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,080-2,195 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,025 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,825 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,875 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 11,200 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 10,150 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,800-4,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,600-4,735 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,225 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)