नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) परिसंपत्तियों पर प्रतिफल (आरओए) के आधार पर मापी जाने वाली लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) की लाभप्रदता चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 0.4 प्रतिशत घटकर करीब 1.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसकी मुख्य वजह शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) में कमी तथा ऋण लागत में वृद्धि है। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई।
एसएफबी की लाभप्रदता पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में 2.1 प्रतिशत रही थी।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, लघु वित्त बैंकों के लिए आरओए अब भी समग्र बैंकिंग प्रणाली की तुलना में 0.5-0.6 प्रतिशत अधिक रहेगा, क्योंकि उनकी ऋण पुस्तिका की प्रतिफल प्रकृति अपेक्षाकृत अधिक है।
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने पिछले महीने लघु वित्त बैंकों से सतर्क रहने और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि जोखिम को समय रहते कम किया जाए।
उन्होंने टिकाऊ व्यापार मॉडल के महत्व पर भी प्रकाश डाला था और डिजिटल खतरों से बचाव के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत पर भी जोर दिया था।
रिपोर्ट में कहा गया, एसएफबी के लिए एनआईएम में 0.15 प्रतिशत की कमी आने की आशंका है क्योंकि वे सुरक्षित परिसंपत्ति वर्गों में विविधता लाना जारी रखते हैं जिनका प्रतिफल अपेक्षाकृत कम है।
इसमें कहा गया, इस बीच मुख्य रूप से लघु वित्त और अन्य असुरक्षित क्षेत्रों में बढ़ती चूक के कारण ऋण लागत करीब 0.4 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ एसएफबी मुख्य वृद्धि रणनीति के रूप में खंड आधारित विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। कई ने लघु वित्त ऋणदाताओं के रूप में शुरुआत की है, इसलिए विविधीकरण मुख्य रूप से सुरक्षित परिसंपत्ति वर्गों (मुख्य रूप से संपत्ति की एवज में ऋण, आवास ऋण तथा वाहन ऋण) की ओर रहा है, ताकि परिसंपत्ति की गुणवत्ता तथा आय में संभावित अस्थिरता को कम किया जा सके।’’
भाषा निहारिका अजय
अजय
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