मुंबई, 24 जून (भाषा) राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियां (एसएलबीसी) सरकार और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ बेहतर तालमेल के जरिये वित्तीय समावेशन में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकती हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने यह बात कही है।
उन्होंने कहा कि ऋण योजना और डिजिटल वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने में एसएलबीसी को सरकार और स्वयं सहायता समूहों (एनजीओ) के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देने में एसएलबीसी की भूमिका महत्वपूर्ण और बहुआयामी है। ये संस्थाएं वित्तीय सेवाओं और वंचित आबादी के बीच खाई को पाटने में मदद कर सकती हैं।
उन्होंने 19 जून को पुणे में एसएलबीसी के संयोजकों के सम्मेलन में कहा, ‘‘सरकार और एनजीओ के साथ प्रभावी तालमेल पर ध्यान देकर, ऋण योजना के लिए वैज्ञानिक नजरिये को अपनाकर और डिजिटल वित्तीय साक्षरता पर जोर देकर एसएलबीसी अधिक समावेशी वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र बना सकते हैं।’’
डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हमारे प्रयासों के ठोस नतीजों की निगरानी और माप जरूरी है, ताकि यह तय हो सके कि वित्तीय समावेशन का लाभ हमारे देश के हर कोने तक पहुंचे।’’
उन्होंने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों और जरूरतों के अनुरूप पहल करके व्यक्तियों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए सशक्त बनाने की जरूरत है।
भाषा पाण्डेय अजय
अजय
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