उच्च उपज वाले गन्ने के लिए आईएसओ सदस्यों के बीच अनुसंधान व प्रथाओं को साझा करना महत्वपूर्ण:जोशी |

उच्च उपज वाले गन्ने के लिए आईएसओ सदस्यों के बीच अनुसंधान व प्रथाओं को साझा करना महत्वपूर्ण:जोशी

उच्च उपज वाले गन्ने के लिए आईएसओ सदस्यों के बीच अनुसंधान व प्रथाओं को साझा करना महत्वपूर्ण:जोशी

:   Modified Date:  June 25, 2024 / 01:05 PM IST, Published Date : June 25, 2024/1:05 pm IST

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने मंगलवार को कहा कि उच्च उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले गन्ने की किस्म तथा इसके नवीन उपयोग के लिए देशों के बीच अनुसंधान और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना महत्वपूर्ण है।

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री ने कहा कि इस वर्ष अच्छी बारिश होने पर चीनी उत्पादन अच्छा रहने की उम्मीद है।

जोशी ने कहा, ‘‘ सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना तथा विभिन्न देशों के बीच अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। आइए हम उच्च उपज वाले, रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले गन्ने की किस्म को विकसित करने, गन्ने के लिए नवीन उपयोगों की खोज करने तथा संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करें।’’

मंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी में 64वीं अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) परिषद की बैठक में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि चीनी मूल्य श्रृंखला में उन्नत प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपनाया जाना चाहिए। वे अपशिष्ट को कम करने और उद्योग की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे।

मंत्री ने कहा कि देश आईएसओ सदस्यों के साथ अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास तथा चीनी तथा जैव ईंधन क्षेत्र में विशेषज्ञता साझा करने के लिए सक्रिय सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।

जोशी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उपभोक्ता और दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। करीब एक करोड़ किसान और उनके आश्रित गन्ने की खेती में लगे हुए हैं। इसके अलावा यह उद्योग प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है।

जैव ईंधन उद्योग में गन्ना एक प्रमुख फसल है। भारत की आर्थिक वृद्धि और कृषि समृद्धि दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

उन्होंने कहा कि आईएसओ को कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए सहयोग करना जारी रखना चाहिए। हमारी प्राथमिकता कृषि आय में सुधार के साथ पानी का इस्तेमाल कम से कम करना भी होनी चाहिए।

भाषा निहारिका

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