मुंबई, 20 जनवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) से कहा कि वे बकाया वसूलने के सभी संभावित तरीके आजमाने के बाद ही कर्जदारों के साथ समझौता करें।
केंद्रीय बैंक ने 24 अप्रैल, 2024 के ‘मुख्य दिशानिर्देश… भारतीय रिजर्व बैंक (संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी) दिशानिर्देश, 2024’ को संशोधित किया है।
प्रत्येक परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी को उधारकर्ताओं के बकाये के निपटान के लिए निदेशक मंडल से अनुमोदन प्राप्त नीति बनानी चाहिए।
कर्जदाताओं के बकाया के निपटान पर जारी संशोधित दिशानिर्देश के अनुसार नीति में, अन्य बातों के अलावा, एकमुश्त निपटान पात्रता के लिए ‘कट-ऑफ’ तिथि, निपटान राशि पर पहुंचने के दौरान जोखिम की विभिन्न श्रेणियों के लिए स्वीकृत नुकसान और गारंटी वाले उत्पाद के वास्तविक मूल्य पर पहुंचने के तौर-तरीकों जैसे पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया, ‘‘बकाया वसूलने के सभी संभावित तरीकों की जांच करने के बाद ही उधारकर्ता के साथ समझौता किया जाएगा और निपटान को उपलब्ध विकल्पों में से बेहतर माना जाएगा।’’
इसके अलावा, निपटान राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाना चाहिए।
समझौते में अगर एक किस्त में सहमत पूरी राशि के भुगतान की बात नहीं की गई है, वहां प्रस्ताव स्वीकार्य व्यवसाय योजना (जहां लागू हो), उधारकर्ता की अनुमानित आय और नकदी प्रवाह के अनुरूप होना चाहिए।
दिशानिर्देश में उन मामलों में पालन की जाने वाली प्रक्रियाओं का जिक्र है जहां एक करोड़ रुपये से अधिक या उससे कम के कुल मूल्य वाले उधारकर्ता से संबंधित खातों का निपटान किया जाता है।
आरबीआई ने यह भी कहा कि संशोधित ढांचे के तहत उधारकर्ताओं के साथ समझौता किसी भी अन्य कानून के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होना चाहिए।
इसके अलावा, जहां भी एआरसी ने न्यायिक मंच के तहत वसूली की कार्यवाही शुरू की है और ऐसे मंच के समक्ष मामले लंबित है, उधारकर्ता के साथ किया गया कोई भी समझौता संबंधित न्यायिक मंच की सहमति के निर्णय पर निर्भर करेगा।
भाषा रमण अजय
अजय
Follow us on your favorite platform:
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)