नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) रिलायंस पावर लिमिटेड और रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड को कथित रूप से ‘फर्जी दस्तावेज’ जमा करने के लिए सरकारी सौर कंपनी सेकी की निविदाओं में भाग लेने से तीन साल के लिए रोक दिया गया है।
सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेकी) ने एक नोट में कहा, ‘‘महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन, जिसे अब रिलायंस एनयू बीईएसएस (एक परियोजना के लिए) के रूप में जाना जाता है, की तरफ से पेश दस्तावेजों की जांच में यह पाया गया कि निविदा शर्तों के अनुरूप बोलीदाता द्वारा प्रस्तुत ईएमडी (एक विदेशी बैंक द्वारा जारी) के एवज में दी गई बैंक गारंटी फर्जी थी।’’
यह मामला सेकी की तरफ से आयोजित प्रतिस्पर्धी बोली के तहत 1,000 मेगावाट/ 2,000 मेगावाट घंटे की एकल आधार वाली बीईएसएस परियोजनाओं की स्थापना के लिए जारी किए गए चयन के लिए अनुरोध (आरएफएस) से संबंधित है।
उपरोक्त गड़बड़ी ई-रिवर्स नीलामी के बाद पाए जाने की वजह से सेकी को निविदा प्रक्रिया रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
सेकी ने कहा कि उसने रिलायंस पावर और रिलायंस एनयू बीईएसएस को तीन साल की अवधि में जारी होने वाली निविदाओं में भाग लेने से रोक दिया है।
निविदा शर्तों के मुताबिक, फर्जी दस्तावेज पेश करने की वजह से बोलीदाता को भविष्य की निविदाओं में शामिल होने से वंचित किया जा सकता है।
बोलीदाता इकाई ने रिलायंस पावर लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी होने के कारण अपनी मूल कंपनी की ताकत का उपयोग करके वित्तीय पात्रता शर्तों को पूरा किया था। लेकिन विस्तृत जांच में पता चला कि बोलीदाता द्वारा लिए गए सभी वाणिज्यिक और रणनीतिक निर्णय वास्तव में मूल कंपनी द्वारा ही संचालित थे। ऐसे में रिलायंस पावर को भी भविष्य की निविदाओं में भाग लेने से रोकना अनिवार्य हो गया।
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