नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने डेरिवेटिव खंड में व्यक्तिगत शेयरों को शामिल करने के लिए सख्त मानदंडों का सोमवार को प्रस्ताव किया।
नए प्रस्ताव के तहत शेयर बाजार के वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) खंड से लगातार कम कारोबार वाले शेयरों को बाहर किया जाएगा। सेबी ने इस बारे में जारी परामर्श पत्र में बाजार नियामक ने कहा है कि अंतर्निहित नकदी बाजार में पर्याप्त गहराई के बना बाजार में हेरफेर, अस्थिरता में वृद्धि तथा निवेशक सुरक्षा से समझौता होने का जोखिम बढ़ सकता है।’’
इन सभी के मद्देनजर सेबी के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि डेरिवेटिव खंड में केवल आकार, नकदी और बाजार गहराई के संदर्भ में उच्च गुणवत्ता वाले शेयर ही उपलब्ध हों।
प्रस्ताव के तहत, किसी व्यक्तिगत शेयर को डेरिवेटिव कारोबार में शामिल करने के लिए उसका कुल में से कम से कम 75 प्रतिशत कारोबारी दिवसों में कारोबार होना चाहिए।
इसके अलावा कम से कम 15 प्रतिशत सक्रिय व्यापारियों या 200 सदस्यों (जो भी कम हो) ने इस शेयर में कारोबार किया हो और इसका औसत दैनिक कारोबार 500 करोड़ रुपये से 1,500 करोड़ रुपये के बीच होना चाहिए।
सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि इसके अलावा अंतर्निहित शेयर के लिए खुले अनुबंधों की अधिकतम संख्या 1,250 करोड़ रुपये और 1,750 करोड़ रुपये होनी चाहिए। वर्तमान में यह आंकड़ा 500 करोड़ रुपये है।
इन प्रस्तावों का मकसद संबंधित शेयर में पर्याप्त कारोबार सुनिश्चित करना है।
सेबी ने इस प्रस्ताव पर 19 जून तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।
भाषा निहारिका अजय
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