नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने ईएसजी रेटिंग प्रदाताओं (ईआरपी) के लिए रूपरेखा में बदलाव का प्रस्ताव किया है, खासकर ग्राहक-भुगतान मॉडल का इस्तेमाल करने वालों के लिए, जिसमें शेयर सूचकांक को ईएसजी रेटिंग का खुलासा करने की आवश्यकता से छूट भी शामिल है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इसके अलावा सुझाव दिया है कि सब्सक्राइबर-पे मॉडल का इस्तेमाल करने वाले ईआरपी को सब्सक्राइबर तथा रेटेड जारीकर्ता दोनों के साथ ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक व शासन) रेटिंग रिपोर्ट साझा करनी चाहिए। इस नीति का सार्वजनिक रूप से खुलासा किया जाना चाहिए।
सेबी ने अपने परामर्श पत्र में कहा, ईआरपी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रेटेड संस्थाएं, उनकी समूह कंपनियां या सहयोगी अपनी स्वयं की ईएसजी रेटिंग की सदस्यता (सब्सक्राइब) नहीं ले सकें।
इन प्रस्तावों का मकसद सेबी के ढांचे के भीतर ईएसजी रेटिंग की स्पष्टता, पारदर्शिता और विनियामक संरेखण को बढ़ाना है।
सेबी ने जुलाई 2023 में ईआरपी के लिए नियम पेश किए थे, लेकिन ईआरपी ने कुछ प्रावधानों पर स्पष्टीकरण मांगा है। खासकर ग्राहक-भुगतान मॉडल का इस्तेमाल करने वालों के लिए और तदनुसार नियामक ने बृहस्पतिवार को एक परामर्श पत्र जारी किया।
इसमें, नियामक ने प्रस्ताव दिया है कि ईआरपी को जारीकर्ताओं को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर ईएसजी रेटिंग रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने की अनुमति देनी चाहिए। जारीकर्ता की ओर से किसी भी टिप्पणी को परिशिष्ट के रूप में रिपोर्ट में जोड़ा जाना चाहिए। यदि ईआरपी जारीकर्ता के दृष्टिकोण से असहमत है, तो वह टिप्पणी या परिशिष्ट के माध्यम से जवाब दे सकता है।
इसके अलावा, सब्सक्राइबर-पे मॉडल पर ईआरपी को शेयर बाजारों को ईएसजी रेटिंग का खुलासा करने से छूट दी जानी चाहिए, बशर्ते वे पुष्टि करें कि उनके पास रेटिंग को प्रभावित करने वाली कोई गैर-सार्वजनिक जानकारी नहीं है।
ईआरपी संबंधित विनियामकों के विशिष्ट दिशा-निर्देशों के तहत गैर-सूचीबद्ध जारीकर्ताओं या अन्य उत्पादों की रेटिंग कर सकते हैं। सेबी-पंजीकृत ईआरपी को किसी भी गैर-सेबी विनियमित रेटिंग की देखरेख करने वाले विनियामक निकाय को स्पष्ट करना चाहिए।
नियामक ने प्रस्तावों पर 15 नवंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा
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