नयी दिल्ली, 13 सितंबर (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने अनियमितता बरतने और हितों के टकराव को लेकर कांग्रेस की तरफ से लगाए गए आरोपों से शुक्रवार को इनकार करते हुए कहा कि ये आरोप ‘गलत, प्रेरित और साख बिगाड़ने’ की कोशिश हैं।
बुच ने अपने खिलाफ लगे आरोपों का बिंदुवार खंडन करते हुए एक बयान में कहा कि ‘तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने’ की एक स्पष्ट परिपाटी उभरती हुई नजर आ रही है। उन्होंने इस मामले में उचित कानूनी कार्रवाई करने का भी संकेत दिया।
बुच दम्पति ने एक संयुक्त बयान में कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप अवैध रूप से जुटाई गई जानकारी पर आधारित हैं जो कि गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि आरोप मामले को गर्म रखने के इरादे से किस्तों में लगाए जा रहे हैं।
दम्पति ने छह पन्नों के इस बयान में कहा, ‘अगर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर व्यक्तियों और संस्थाओं को बदनाम करने के बजाय सच्चाई तक पहुंचने का उद्देश्य होता तो हमें आश्चर्य होता है कि सभी आरोपों को एक बार में ही सार्वजनिक क्यों नहीं कर दिया जाता। तब हम एक बार में ही सभी तथ्य दे देते।’
यह बयान मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से सेबी प्रमुख के खिलाफ लगाए गए कई आरोपों के बाद आया है। कांग्रेस ने माधबी पुरी बुच पर सेवानिवृत्ति के बाद भी आईसीआईसीआई बैंक से आय होने और वॉकहार्ट एसोसिएट्स से किराया मिलने जैसे आरोप लगाए हैं।
कांग्रेस ने धवल बुच और उनकी दो कंपनियों- भारत में अगोरा एडवाइजरी और सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स की तरफ से दिए गए परामर्श कार्यों को लेकर भी आरोप लगाए हैं।
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि धवल बुच ने महिंद्रा समूह से 4.78 करोड़ रुपये उस समय अर्जित किए जब सेबी नियमों के उल्लंघन को लेकर उस कंपनी के खिलाफ जांच कर रहा था।
इस पर बयान में कहा गया कि धवल ने माधबी को सेबी का प्रमुख नियुक्त किए जाने के पहले ही 2019 में महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ काम करना शुरू कर दिया था।
बयान के मुताबिक, धवल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली से इंजीनियर हैं, उनके पास हिंदुस्तान यूनिलीवर के बोर्ड में कार्यकारी निदेशक के रूप में 35 वर्षों का अनुभव है और एक अग्रणी पेशेवर के रूप में उनकी ‘अच्छी प्रतिष्ठा’ है।
बयान में कहा गया, ‘ऐसा लगता है कि जब किसी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के जीवनसाथी को सलाहकार नियुक्त किया जाता है, तो इसे पेशेवर योग्यता से परे कारकों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। ऐसी धारणाएं योग्यता और विशेषज्ञता की ताकत को नजरअंदाज करती हैं और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण निष्कर्ष पर पहुँचती हैं।’
आईसीआईसीआई बैंक से मिले कर्मचारी स्टॉक विकल्प (ईएसओपी) से जुड़े आरोपों पर बयान में कहा गया कि बैंक से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को अपने निहित विकल्पों का प्रयोग 10 वर्ष तक करने की अनुमति दी गई थी, जबकि इस्तीफा देने वाले कर्मचारियों को तीन महीने की अनुमति दी गई थी।
पेंशन राशि की असमान प्रकृति के आरोपों पर, बुच दम्पति ने कहा कि ये एक अंशदायी वार्षिकी योजना का हिस्सा थे और 10 वर्षों में विभिन्न चरणों में ईएसओपी के प्रयोग से संबंधित हैं।
सेबी में कार्यरत रहते समय ईएसओपी रखने के आरोपों पर दम्पति ने कहा कि सेबी के दिशानिर्देश चेयरपर्सन सहित बोर्ड के सदस्यों को ईएसओपी रखने और उसमें लेन-देन करने की अनुमति देते हैं। इसके अलावा, माधबी ने अपने कार्यकाल में आईसीआईसीआई समूह की कंपनियों से संबंधित किसी भी फाइल का निपटारा नहीं किया।
आईसीआईसीआई बैंक में काम करते हुए अंशकालिक नौकरी करने के आरोपों पर कहा गया है कि माधबी ने आईसीआईसीआई बैंक में काम करते समय किसी भी अनधिकृत बाहरी रोजगार में भाग नहीं लिया।
अगोरा एडवाइजरी की तरफ से दो और कंपनियों- सेम्बकॉर्प और विसू लीजिंग को सेवाएं दिए जाने के आरोप को बुच दम्पति ने ‘स्पष्ट रूप से गलत’ बताया। ये काम 2016-2017 में माधबी के सेबी में शामिल होने से पहले अंजाम दिया गया था।
बयान के मुताबिक, ‘संचालन के उच्चतम मानकों को ध्यान में रखते हुए, माधबी ने सेबी से जुड़ने के बाद किसी भी स्तर पर अगोरा एडवाइजरी, अगोरा पार्टनर्स, महिंद्रा समूह, पिडिलाइट, डॉ रेड्डीज, अल्वारेज़ एंड मार्सल, सेम्बकॉर्प, विसू लीजिंग या आईसीआईसीआई बैंक से जुड़ी किसी भी फाइल को कभी नहीं निपटाया।’
बुच दम्पति ने कहा, ‘ये आरोप पूरी तरह गलत, दुर्भावनापूर्ण और मानहानि करने वाले हैं। माधबी ने सेबी के खुलासा और अस्वीकृति दिशानिर्देशों का अनुपालन किया है। वास्तव में, दिशानिर्देशों के तहत जरूरी प्रावधानों से इतर खुद को लगातार मामलों से अलग रखा है।’
उन्होंने स्वामित्व वाली संपत्ति से प्राप्त किराये की आय पर कहा कि संपत्ति को सामान्य तरीके से पट्टे पर दिया गया था। बाद में पता चला कि पट्टेदार वोकहार्ट की एक सहयोगी थी। हालांकि माधबी ने वोकहार्ट से संबंधित किसी भी फाइल को नहीं संभाला है।
बुच दम्पति ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोप को ‘झूठा, गलत, दुर्भावनापूर्ण और प्रेरित’ बताते हुए कहा कि इनका एकमात्र उद्देश्य ‘झूठी कहानी गढ़ना’ है।
इस सप्ताह की शुरुआत में अमेरिकी निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने बाजार नियामक के सदस्य के रूप में काम करते हुए कंपनियों से भुगतान लेने, अनुचित व्यवहार और हितों के टकराव के नए आरोपों पर सेबी प्रमुख की ‘पूरी तरह से चुप्पी’ पर सवाल उठाया था।
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