नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) नैसकॉम की चेयरपर्सन सिंधु गंगाधरन ने कहा कि भू-राजनीतिक बदलावों और कृत्रिम मेधा जैसे बड़े रुझानों के कारण प्रौद्योगिकी परिदृश्य में बदलाव के बीच वर्ष 2025 में प्रौद्योगिकी के प्रति लोगों की रुचि बढ़ने और उसे अपनाने तथा रणनीतिक साझेदारियां बनने की अधिक संभावना है।
कृत्रिम मेधा (एआई) के कारण बड़ी संख्या में छंटनी होने की आशंका को लेकर जारी वैश्विक चर्चा के बारे में उन्होंने कहा कि कृत्रिम मेधा को एक ऐसे स्रोत के तौर पर देखा जाना चाहिए जो कौशल और उत्पादकता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
गंगाधरन ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि आज की दुनिया में यह बेहद महत्वपूर्ण है कि हम बहुत मजबूत साझेदारियां बनाएं, क्योंकि केवल साथ मिलकर ही हम बड़े बदलाव ला सकते हैं और उन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, जिनसे दुनिया जूझ रही है।’’
एआई को एक अभूतपूर्व, परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे एक सशक्त करने वाले माध्यम के तौर पर अपनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह बेहद महत्वपूर्ण है कि लोग समझें कि यह एक अभूतपूर्व, परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी है … अब आपके पास इसे बेहद सुरक्षित, विनियमित, शासित तरीके से इस्तेमाल करने की शक्ति है। इसलिए वास्तव में, मैं आपके कौशल को बढ़ाने में मदद करने के लिए उस प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना चाहती हूं।’’
उनका मानना है कि यह मुद्दा नौकरियों के विस्थापन से कम …अधिक उत्पादकता तथा लाभ हासिल करने के लिए प्रौद्योगिकी का फायदा उठाने से अधिक जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि जहां तक प्रौद्योगिकी पर खर्च की बात है तो अब यह एहसास हो रहा है कि प्रौद्योगिकी को अपनाना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हर कोई समझता है कि इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है। आप ऐसा जितनी जल्दी करेंगे, व्यापार के लिए उतना ही बेहतर होगा।’’
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा
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