मुंबई, आठ जनवरी (भाषा) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार में नौ पैसे की गिरावट के साथ 85.83 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। सरकार द्वारा देश की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम करने के बावजूद अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण रुपया में गिरावट जारी रही।
विश्लेषकों के अनुसार, घरेलू शेयर बाजारों में सुस्ती के कारण भी भारतीय मुद्रा पर दबाव पड़ा, जबकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि की बेहतर संभावना ने फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती में देरी की उम्मीदों को बढ़ावा दिया, जिससे अमेरिकी ‘ट्रेजरी यील्ड’ के साथ-साथ डॉलर की मांग में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।
सरकार द्वारा मंगलवार को जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2024-25 में चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 6.4 प्रतिशत की वृद्धि दर कोविड-महामारी के वर्ष (2020-21) के बाद सबसे कम होगी, जब देश में 5.8 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। मार्च, 2024 को समाप्त पिछले वित्त वर्ष में यह 8.2 प्रतिशत थी।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.82 प्रति डॉलर पर खुला। बाद में 85.83 प्रति डॉलर पर फिसल गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले नौ पैसे की गिरावट है।
रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.74 पर बंद हुआ था।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.09 प्रतिशत की गिरावट के साथ 108.09 पर रहा।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.09 प्रतिशत की बढ़त के साथ 77.33 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मंगलवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 1,491.46 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
भाषा अनुराग
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