गुवाहाटी, एक जनवरी (भाषा) देश के चार प्रमुख टायर निर्माताओं द्वारा एक परियोजना के तहत पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल में 1.25 लाख हेक्टेयर से अधिक के रकबे में रबड़ की खेती पूरी की गई है। एक उद्योग निकाय ने बुधवार को यह जानकारी दी।
इनरोड (सहायक विकास के लिए भारतीय प्राकृतिक रबड़ संचालन) परियोजना के हिस्से के रूप में वाहन टायर विनिर्माता संघ (एटीएमए) ने पांच वर्षों में 1,100 करोड़ रुपये की लागत से असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में दो लाख हेक्टेयर रकबे में रबड़ की खेती विकसित करने की योजना बनाई थी।
एटीएमए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘परियोजना के पहले चार वर्षों में, पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों (94 जिलों) में 1,25,272 हेक्टेयर रकबे को नए प्राकृतिक रबड़ (एनआर) बागानों के दायरे में लाया गया है।’’
उन्होंने कहा कि यह चार साल की अवधि में देश में अबतक की गई सबसे अधिक प्राकृतिक रबड़ (एनआर) रोपाई में से है।
उन्होंने दावा किया कि एक बार पूरा हो जाने पर, परियोजना के 2.5 लाख लाभार्थियों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होगा।
आईएनआरओएडी परियोजना के शुभारंभ से पहले भारत के प्राकृतिक रबड़ रोपण क्षेत्र में पूर्वोत्तर का हिस्सा 23 प्रतिशत था।
एटीएमए अधिकारी ने कहा, ‘‘आईएनआरओएडी के तहत अतिरिक्त दो लाख हेक्टेयर में वृक्षारोपण विकसित करने का उद्देश्य पूरा हो जाने पर, अनुमान है कि पूर्वोत्तर राज्यों का हिस्सा बढ़कर 38 प्रतिशत हो जाएगा। इसी तरह, भारत के प्राकृतिक रबड़ उत्पादन में पूर्वोत्तर का हिस्सा 16 प्रतिशत से बढ़कर 32 प्रतिशत हो जाएगा।’’
इनरोड के तहत पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल में दो लाख हेक्टेयर रबड़ बागान विकसित किए जाएंगे, जिसका वित्तीय सहयोग अपोलो टायर्स, सिएट, जेके टायर और एमआरएफ द्वारा किया जाएगा और इसका क्रियान्वयन रबड़ बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा किया जाएगा।
संपर्क किए जाने पर एटीएमए के महानिदेशक राजीव बुधराजा ने कहा, ‘‘चुनौतियों के बावजूद, इनरोड परियोजना के तहत पहले चार साल के लिए पौधरोपण लक्ष्य का लगभग 90 प्रतिशत हासिल कर लिया गया है।’’
भाषा राजेश राजेश अजय
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