नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से आरटीजीएस और एनईएफटी भुगतान विधियों में प्राप्तकर्ता के नाम को सत्यापित करने की व्यवस्था जल्द लागू करने के लिए कहा है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए ऐसी प्रणाली महत्वपूर्ण है और इसमें देरी से हजारों निर्दोष उपभोक्ताओं पर असर पड़ सकता है, जिन्होंने यह जाने बिना भुगतान कर दिया कि लाभार्थी कौन है।
अदालत ने कहा कि इस प्रणाली को सभी बैंकों को लागू करना चाहिए।
अदालत निर्दोष लोगों को ठगने के लिए धोखाधड़ी करने वाली वेबसाइट द्वारा कई संस्थाओं के ट्रेडमार्क का दुरुपयोग करने से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
अदालत ने 21 दिसंबर को कहा, ‘‘आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन के लिए लाभार्थी के नाम का सत्यापन करने की सुविधा को लागू करने के लिए आरबीआई के कदम साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आरबीआई बिना किसी देरी के लाभार्थी के नाम का सत्यापन करने की सुविधा को लागू करेगा।’’
अदालत ने कहा कि इसके क्रियान्वयन में देरी से हजारों निर्दोष उपभोक्ताओं पर असर पड़ने की संभावना है।
अदालत ने कहा, ‘‘आरबीआई को उक्त प्रणाली को शीघ्रता से सक्रिय करना चाहिए और आईबीए (भारतीय बैंक संघ) तथा इसके सदस्य बैंकों को इस सुविधा के बारे में बताना चाहिए।’’
आरबीआई के वकील ने कहा कि यूपीआई और आईएमपीएस विधियों के लिए अब भुगतान करने से पहले प्राप्तकर्ता के नाम को सत्यापित करना संभव है, लेकिन आरटीजीएस और एनईएफटी भुगतान विधियों में ऐसी प्रणाली अभी तक लागू नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि इस सुविधा का परीक्षण किया जा रहा है और इसे जल्द ही उपलब्ध करा दिया जाएगा।
भाषा पाण्डेय अजय
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