नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोमवार को इलेक्ट्रॉनिक वेयरहाउस रसीदों का लाभ उठाकर किसानों को फसल कटाई के बाद कर्ज उपलब्धता में सुगमता सुनिश्चित करने को 1,000 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना शुरू की।
इस योजना का उद्देश्य भंडारगृह विकास एवं नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) पंजीकृत रिपॉजिटरी द्वारा जारी इलेक्ट्रॉनिक नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीदों (ई-एनडब्ल्यूआर) के बदले ऋण देने में बैंकों की अरुचि को कम करना है।
योजना के शुभारंभ पर मंत्री ने कहा, ‘‘हमने 1,000 करोड़ रुपये का एक कोष प्रदान किया है। इसका उद्देश्य बैंकों को उदार दृष्टिकोण के साथ ऋण देने के लिए प्रोत्साहित करना है।’’
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने विस्तार की महत्वपूर्ण संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान में फसल-उपरांत ऋण 21 लाख करोड़ रुपये के कुल कृषि ऋण में से मात्र 40,000 करोड़ रुपये है। वर्तमान में ई-एनडब्ल्यूआर के तहत ऋण मात्र 4,000 करोड़ रुपये है।
चोपड़ा ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अगले 10 साल में फसल के बाद के कामकाज के लिए ऋण बढ़कर 5.5 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैंकिंग और वेयरहाउसिंग क्षेत्रों के समन्वित प्रयासों से यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
सचिव ने ई-किसान उपज निधि ऑनलाइन मंच को सुव्यवस्थित करने, किसानों के बीच गारंटीशुदा वित्तपोषण के बारे में जागरूकता पैदा करने, डिपॉजिटरी शुल्क की समीक्षा करने और मौजूदा 5,800 से आगे वेयरहाउस पंजीकरण बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
इस कार्यक्रम में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री बी एल वर्मा और निमूबेन जयंतीभाई बांभनिया भी मौजूद थीं। डब्ल्यूडीआरए की चेयरपर्सन अनीता प्रवीण ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।
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