चीन का आयात बढ़ने से घरेलू इस्पात विनिर्माताओं के मुनाफे पर असर पड़ रहा है: सज्जन जिंदल |

चीन का आयात बढ़ने से घरेलू इस्पात विनिर्माताओं के मुनाफे पर असर पड़ रहा है: सज्जन जिंदल

चीन का आयात बढ़ने से घरेलू इस्पात विनिर्माताओं के मुनाफे पर असर पड़ रहा है: सज्जन जिंदल

:   Modified Date:  July 26, 2024 / 01:47 PM IST, Published Date : July 26, 2024/1:47 pm IST

नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) जेएसडब्ल्यू स्टील के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने शुक्रवार को कहा कि चीन से बढ़ते इस्पात आयात का घरेलू कंपनियों के मुनाफे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

कंपनी की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में जिंदल ने कहा कि कई देशों ने इस्पात आयात के खिलाफ पहले ही कदम उठाए हैं। भारतीय इस्पात उद्योग भी समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए सरकार के साथ बातचीत कर रहा है।

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू इस्पात की मांग में 13.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो आर्थिक वृद्धि से अधिक है। यह बुनियादी ढांचे के विकास और सभी प्रमुख इस्पात-उपभोक्ता क्षेत्रों की मजबूत मांग के कारण संभव हो पाया।

जेएसडब्ल्यू स्टील के शेयरधारकों को संबोधित करते हुए जिंदल ने कहा, ‘‘ हालांकि, वैश्विक इस्पात मांग कमजोर बनी हुई है, जिससे भारत में आयात बढ़ रहा है और घरेलू इस्पात विनिर्माताओं के मुनाफे पर असर पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण चीन का उत्पादन तथा निर्यात बढ़ना है, जिससे वैश्विक इस्पात बाजारों पर दबाव पड़ रहा है।’’

इसके अलावा, देश में इस्पात की अच्छी मांग से घरेलू बाजार कमजोर वैश्विक मांग के बीच आयात के प्रति संवेदनशील हो गया है।

जेएसडब्ल्यू स्टील के वित्त वर्ष 2023-24 के व्यावसायिक आंकड़े साझा करते हुए जिंदल ने कहा कि कंपनी ने इस अवधि में 92 प्रतिशत क्षमता उपयोग के साथ अपना अभी तक उच्चतम कच्चा इस्पात उत्पादन हासिल किया।

जेएसडब्ल्यू स्टील ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने उत्पादन और बिक्री के लक्ष्य को 100 प्रतिशत पूरा किया। परिचालन से इसका राजस्व 1,75,006 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिसमें ब्याज, कर, मूल्यह्रास और कर पूर्व आय (ईबीआईटीडीए) की कमाई 28,236 करोड़ रुपये और कर के बाद का मुनाफा 8,973 करोड़ रुपये रहा।

कंपनी के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 7.30 रुपये प्रति शेयर के लाभांश की सिफारिश की है। इसके लिए शेयरधारकों की मंजूरी आवश्यक होगी।

इसके अलावा, कंपनी की योजना वित्त वर्ष 2030-31 तक भारत में अपनी क्षमता को पांच करोड़ टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने की है।

भाषा निहारिका

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