नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) वाणिज्य मंत्रालय की इकाई एपीडा ने राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) नियमों को संशोधित कर इसे और अधिक किसान-अनुकूल बनाया है। इससे भारत को वर्ष 2030 तक जैविक खाद्य उत्पादों के लिए दो अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
एनपीओपी जैविक उत्पादन के लिए मानक तय करता है और प्रमाणन निकायों की मान्यता के लिए प्रक्रिया सुझाता है।
मानकों और प्रक्रियाओं को जैविक उत्पादों के आयात और निर्यात को विनियमित करने वाले अन्य अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार किया गया है।
एनपीओपी का आठवां संस्करण यहां नौ जनवरी को जारी किया जाएगा।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के चेयरमैन अभिषेक देव ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘संशोधित संस्करण में अधिक किसान-अनुकूल विशेषताएं हैं। यह अधिक स्पष्टता लाएगा और अधिक किसानों को इस क्षेत्र में आने में मदद करेगा।’’
मंत्रालय का लक्ष्य वर्ष 2030 तक निर्यात को दो अरब डॉलर तक बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजारों में भारतीय जैविक वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए, एपीडा ‘बायोफैच’ में कई कंपनियों की भागीदारी की सुविधा प्रदान कर रहा है। यह जर्मनी के नूर्नबर्ग में आयोजित सबसे बड़ा जैविक खाद्य व्यापार मेला है।
चार दिवसीय मेला 11 फरवरी से शुरू होगा।
एनपीओपी देश का प्राथमिक जैविक नियामक मानक है, इसे आयात करने वाले देशों द्वारा स्वीकार किया जाता है और जैविक उत्पादों की बाजार पहुंच में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
फसल उत्पादन के लिए एनपीओपी मानकों को यूरोपीय आयोग और स्विट्जरलैंड ने अपने देश के मानकों के समकक्ष माना है और ब्रिटेन ने भी इसे स्वीकार किया है।
एपीडा को एनपीओपी के कार्यान्वयन और प्रमाणन निकायों के संचालन पर नियामक निगरानी के लिए सचिवालय के रूप में नामित किया गया है। इसे अंतिम बार वर्ष 2014 में संशोधित किया गया था।
देव ने कहा कि एनपीओपी के तहत किए गए बदलावों का उद्देश्य प्रक्रियाओं को अधिक सरल बनाना और स्पष्टता प्रदान करना है।
भाषा राजेश राजेश रमण
रमण
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