खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.48 प्रतिशत पर, रेपो दर में कटौती की गुंजाइश बनी |

खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.48 प्रतिशत पर, रेपो दर में कटौती की गुंजाइश बनी

खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.48 प्रतिशत पर, रेपो दर में कटौती की गुंजाइश बनी

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Modified Date: December 12, 2024 / 08:05 PM IST
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Published Date: December 12, 2024 8:05 pm IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) खाद्य कीमतों में नरमी से नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.48 प्रतिशत पर आ गई है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक की अगली मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में कटौती की गुंजाइश बनती दिख रही है।

बृहस्पतिवार को घोषित आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत के स्तर पर थी जबकि पिछले साल नवंबर में यह 5.55 प्रतिशत थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने एक बयान में कहा, ‘‘नवंबर 2024 में सब्जियों, दालों, चीनी और मिष्ठान्न, फलों, अंडों, दूध, मसालों, परिवहन और संचार एवं व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों की मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।’’

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने खाद्य समूह की मुद्रास्फीति घटकर 9.04 प्रतिशत रह गई जबकि अक्टूबर में यह 10.87 प्रतिशत और नवंबर, 2023 में 8.70 प्रतिशत थी।

आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर, 2024 में सालाना आधार पर सबसे अधिक महंगा होने वाले उत्पादों में लहसुन (85.14), आलू (66.65), फूलगोभी (47.7), बंद गोभी (43.58) और नारियल तेल (42.13) शामिल थे।

वहीं, सालाना आधार पर सबसे कम मुद्रास्फीति वाली प्रमुख वस्तुओं में जीरा (-35.04), अदरक (-16.96), रसोई गैस (-10.24) और सूखी मिर्च (-9.73) रहीं।

सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का दायित्व आरबीआई को सौंपा हुआ है। आरबीआई ने फरवरी, 2023 से ही रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि खाद्य महंगाई में कमी की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति उम्मीद के अनुरूप नवंबर, 2024 में 5.5 प्रतिशत पर आ गई। यह आरबीआई की मध्यम अवधि वाली लक्षित सीमा के भीतर है जिससे राहत मिलने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि दिसंबर, 2024 तक मुख्य मुद्रास्फीति 5.0 प्रतिशत या उससे कम हो जाती है, तो फरवरी 2025 की मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में कटौती होने की संभावना बहुत अधिक होगी। हम प्रतीक्षित दर कटौती चक्र में 0.25-0.25 प्रतिशत की दो दर कटौतियों की अपनी अपेक्षा को बनाए रखते हैं।’’

पिछले सप्ताह आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुद्रास्फीति के मोर्चे पर चिंता का हवाला देते हुए रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था।

छह साल तक आरबीआई के गवर्नर रहे शक्तिकान्त दास के स्थान पर संजय मल्होत्रा ​​ने बुधवार को नए गवर्नर का पदभार संभाल लिया।

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया है। इसने यह भी कहा कि खाद्य कीमतों पर दबाव के कारण दिसंबर तिमाही में मुख्य मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर पर बने रहने की आशंका है।

खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई-अगस्त के दौरान औसतन 3.6 प्रतिशत, सितंबर में 5.5 प्रतिशत और अक्टूबर 2024 में 6.2 प्रतिशत हो गई।

एनएसओ के आंकड़ों से यह भी पता चला है कि नवंबर में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति दर क्रमशः 5.95 प्रतिशत और 4.83 प्रतिशत थी।

राज्यों में सबसे अधिक मुद्रास्फीति छत्तीसगढ़ (8.39 प्रतिशत) और सबसे कम महंगाई दिल्ली (2.65 प्रतिशत) में दर्ज की गई।

एनएसओ ने कहा, ‘‘अगस्त से अक्टूबर, 2024 तक वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई। इसके बाद नवंबर, 2024 में मुद्रास्फीति में फिर से गिरावट आई है। यह गिरावट मुख्य रूप से ‘खाद्य और पेय पदार्थ’ समूह में महंगाई गिरने के कारण है।’’

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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