ब्याज की वास्तविक दर 2023-24 की चौथी तिमाही में बढ़कर 1.4 से 1.9 प्रतिशत: आरबीआई लेख |

ब्याज की वास्तविक दर 2023-24 की चौथी तिमाही में बढ़कर 1.4 से 1.9 प्रतिशत: आरबीआई लेख

ब्याज की वास्तविक दर 2023-24 की चौथी तिमाही में बढ़कर 1.4 से 1.9 प्रतिशत: आरबीआई लेख

:   Modified Date:  July 18, 2024 / 09:49 PM IST, Published Date : July 18, 2024/9:49 pm IST

मुंबई, 18 जुलाई (भाषा) देश में ब्याज की स्वभाविक यानी अल्पकालिक वास्तविक दर मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही में बढ़कर 1.4-1.9 प्रतिशत हो गई। यह कोविड महामारी के दूसरे वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में अनुमानित 0.8 से 1.0 प्रतिशत थी। आरबीआई के बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में यह कहा गया है।

वास्तविक ब्याज दर (नैचुरल रेट) उन तत्वों से निर्धारित होती है जो दीर्घकालिक बचत-निवेश व्यवहार को प्रभावित करते हैं। वैसे देखा जाए तो बचत को कम करने या निवेश को बढ़ाने वाले कारक ब्याज की वास्तविक दर को बढ़ाते हैं।

विभिन्न देशों में अलग-अलग मौद्रिक नीति ने ब्याज की वास्तविक दर के स्तर के बारे में बहस को फिर से जन्म दिया है।

जुलाई महीने के बुलेटिन में कहा गया है, ‘‘महामारी के बाद के आंकड़ों के साथ भारत के लिए ब्याज की अल्पकालिक वास्तविक दर के अनुमान को अद्यतन करने पर हम इसमें वृद्धि पाते हैं।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में ब्याज की वास्तविक दर बढ़कर 1.4 से 1.9 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। यह 2021-22 की तीसरी तिमाही में 0.8-1.0 प्रतिशत थी।’’

भारत के लिए ब्याज की वास्तविक दर के अद्यतन अनुमान पर लेख आरबीआई के आर्थिक नीति शोध विभाग में वरिष्ठ अधिकारी हरेंद्र कुमार बेहरा ने लिखा है।

इसमें कहा गया है, ‘‘नीति निर्माताओं और वित्तीय बाजार प्रतिभागियों को वास्तविक ब्याज दर का अनुमान लगाने के लिए अपने रुख को लगातार परिष्कृत करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह उन नीतियों के लिए एक भरोसेमंद मार्गदर्शिका

बना रहे हैं जिनका लक्ष्य स्थायी आर्थिक विकास और स्थिरता प्राप्त करना है।’’

लंबे समय में मौद्रिक नीति के प्रभाव के कारण ब्याज की वास्तविक दर अलग-अलग हो सकती है। हालांकि, वृहद आर्थिक सिद्धांत मानता है कि मौद्रिक नीति लंबे समय में तटस्थ है और केवल अस्थायी तौर पर वास्तविक तत्व को प्रभावित कर सकती है।

लेख में कहा गया है कि भारत की आबादी संरचना में बड़ी संख्या में युवा आबादी और कामकाजी लोगों की बढ़ती संख्या है। ऐसे में यह स्थिति उच्च बचत और निवेश के साथ-साथ शिक्षा, आवास, विवाह और सेवानिवृत्ति के लिए वित्तीय देनदारियों के जरिये ब्याज की वास्तविक दर को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी।

केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और आरबीआई के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

भाषा रमण अजय

अजय

 

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