नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) वैश्विक बाधाओं और उच्च लॉजिस्टिक लागत जैसी चुनौतियों के बावजूद अगस्त में देशका तैयार परिधान (रेडिमेड गारमेंट) निर्यात (आरएमजी) लगभग 12 प्रतिशत बढ़कर 1.26 अरब डॉलर का रहा है।
कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान रेडिमेड गारमेंट निर्यात (आरएमजी) 7.12 प्रतिशत बढ़कर 6.39 अरब डॉलर का हो गया।
परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने कहा कि वैश्विक बाधाओं, लाल सागर संकट और उच्च लॉजिस्टिक लागत जैसी अन्य चुनौतियों के बावजूद निर्यात में वृद्धि की गति बनी हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त 2024-25) में औसतन 7.12 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, आरएमजी निर्यात ने गिरते हुए व्यापारिक निर्यात की प्रवृत्ति को रोक दिया है, जो अगस्त में 13 महीने के निचले स्तर पर आ गया था।’’
उन्होंने कहा कि उत्पाद की गुणवत्ता के साथ-साथ पर्यावरण और सामाजिक अनुपालन पर ध्यान देने के साथ, उद्योग उच्च विकास पथ पर तेज गति से बढ़ने और परिधान निर्यात का एक प्रमुख वैश्विक केन्द्र बनने के लिए तैयार है।
सेखरी ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि विकास की गति जारी रहेगी।’’
उन्होंने कहा कि परिधान निर्यात संबंधी योजनाओं के लिए दीर्घकालिक नीतिगत समर्थन नीति व्यवस्था में स्थिरता प्रदान करेगा और देश से परिधान निर्यात को और बढ़ावा देने में मदद करेगा।’’
परिषद ने कपड़ा आयात में लचीलापन प्रदान करने, क्षमता वृद्धि के लिए पीएलआई 2.0 और सभी निर्यातकों के लिए पांच प्रतिशत की बढ़ी हुई दर के साथ कम से कम पांच साल के लिए ब्याज समानीकरण योजना के विस्तार के लिए सरकार को एक प्रस्तुतिकरण दिया है।
एईपीसी के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि हाल के महीनों में आरएमजी निर्यात में सकारात्मक रुझान देखने को मिला है।
ठाकुर ने कहा, ‘‘जापान और दक्षिण कोरिया जैसे एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) साझेदार देशों ने भी सकारात्मक परिणाम देने शुरू कर दिए हैं। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस और नॉर्वे को हमारे निर्यात में भी वृद्धि हुई है।’’
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